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दिव्य दृष्टि

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मुस्कुराहट के पीछे छिपी दुख की रेखाओं को पहचान लेती है वो मां की दिव्य दृष्टि ही तो है जो दूर बैठे अपने बच्चों की चिंताओं को बिन देखे भांप लेती है। सरोज ✍️ ...

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लेखक के बारे में

मैं एक अध्यापिका हूं। शुरू से ही पढ़ने और पढ़ाने में मेरी रूचि रही है।अपने मन के भावों को कविता व कहानियों का रूप देने का मेरा छोटा सा प्रयास अभी शैशव काल में है ।आप सभी मेरी रचनाओं को पढ़ मेरा मार्गदर्शन करें।जिससे मेरी लेखनी को एक सही दिशा मिल सके।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Reeta Gupta "रश्मि"
    21 दिसम्बर 2020
    सही कहा,मां दूर बैठे हुए भी बच्चों की चिंता की रेखाओं को भांप लेती है। बेहतरीन
  • author
    श्वेता विजय mishra
    21 दिसम्बर 2020
    100% सही सटीक और बेहतरीन बात कही आपने इस रचना में बहुत खूब
  • author
    Damini
    21 दिसम्बर 2020
    बिल्कुल सही लिखा है आपने माँ ऐसी ही होती है 🙏
  • author
    आपकी रेटिंग

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  • author
    Reeta Gupta "रश्मि"
    21 दिसम्बर 2020
    सही कहा,मां दूर बैठे हुए भी बच्चों की चिंता की रेखाओं को भांप लेती है। बेहतरीन
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    श्वेता विजय mishra
    21 दिसम्बर 2020
    100% सही सटीक और बेहतरीन बात कही आपने इस रचना में बहुत खूब
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    Damini
    21 दिसम्बर 2020
    बिल्कुल सही लिखा है आपने माँ ऐसी ही होती है 🙏