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डिवाइडर

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डिवाइडर लॉकडाउन के ढाई महीने बाद आज बाजार जाने का मन बनाया । जैसे ही मैंने अपनी वार्डरोब का दरवाजा खोला तो उसमें से सारी शर्ट उछल उछल कर बाहर आने लगीं और कहने लगीं कि मुझे पहनो , मुझे पहनो । ...

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लेखक के बारे में
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श्री हरि

हरि का अंश, शंकर का सेवक हरिशंकर कहलाता हूँ अग्रसेन का वंशज हूँ और "गोयल" गोत्र लगाता हूँ कहने को अधिकारी हूँ पर कवियों सा मन रखता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैं दिल से करता हूँ ।। गंगाजल सा निर्मल मन , मैं मुक्त पवन सा बहता हूँ सीधी सच्ची बात मैं कहता , लाग लपेट ना करता हूँ सत्य सनातन परंपरा में आनंद का अनुभव करता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैंदिल से करता हूँ

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dr. Sanjay Saxena
    02 जून 2020
    बहुत सुंदर व्यंग प्रस्तुत किया आपने 👌👌
  • author
    Risha Gupta
    02 जून 2020
    bahaut hi badiya kataksh👌👌👌
  • author
    chandradeep raj rathor
    02 जून 2020
    बहुत सुंदर लघुकथा भाई जी
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  • author
    Dr. Sanjay Saxena
    02 जून 2020
    बहुत सुंदर व्यंग प्रस्तुत किया आपने 👌👌
  • author
    Risha Gupta
    02 जून 2020
    bahaut hi badiya kataksh👌👌👌
  • author
    chandradeep raj rathor
    02 जून 2020
    बहुत सुंदर लघुकथा भाई जी