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दिन बड़े राते छोटी होती जा रही है। इसे क्या समझे दिन की बदमाशी।या रात की नीयत।

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दिन बड़े राते छोटी होती जा रही है। इसे क्या समझे दिन की बदमाशी।या रात की नीयत। *लिखारी साहब* #वनलाइनर ...

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लेखक के बारे में
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GAURAV KHAMBRA

Insta I'd - gaurav_khambra दिल से लिखता हूं दिमाग से नहीं लिखारी साहब

समीक्षा
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    शिव प्रताप पाल
    16 जून 2020
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    शिव प्रताप पाल
    16 जून 2020
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