तुम्हें देख कर के बहकता है ये मन, गुलशन में गुल सा महकता है ये मन। कहीं भी कभी भी तुम्हें देखता हूं, मस्ती में हर पल चहकता है ये मन। नज़रों में अपनी तुम्हें ...
तुम्हें देख कर के बहकता है ये मन, गुलशन में गुल सा महकता है ये मन। कहीं भी कभी भी तुम्हें देखता हूं, मस्ती में हर पल चहकता है ये मन। नज़रों में अपनी तुम्हें ...