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दिल से दिल का रहा वास्ता इसलिए

3.6
1960

दिल से दिल का रहा वास्ता इसलिए कर दिया शुक्रिया आपका इसलिए मुझसे महबूब मेरा मिला ही नहीं याद का फूल दिल में खिला इसलिए कोई पत्थर पिघल जाए सुनकर इसे अश्क ने आज सब-कुछ कहा इसलिए शर्म आये तो पढ़ ले मेरी ...

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लेखक के बारे में
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रेणु मिश्रा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    15 दिसम्बर 2018
    उम्दा प्रस्तुति ।प्रतिलिपि कथा सम्मान के लिए मेरी कहानियां पढ़कर टिप्पणी दें
  • author
    Jai Sharma
    02 नवम्बर 2023
    राधे राधे रेणु जी वाह वाह क्या खूब कहा आपने जी
  • author
    KP Anmol
    24 जुलाई 2018
    बहुत ख़ूब रेणु जी
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    15 दिसम्बर 2018
    उम्दा प्रस्तुति ।प्रतिलिपि कथा सम्मान के लिए मेरी कहानियां पढ़कर टिप्पणी दें
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    Jai Sharma
    02 नवम्बर 2023
    राधे राधे रेणु जी वाह वाह क्या खूब कहा आपने जी
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    KP Anmol
    24 जुलाई 2018
    बहुत ख़ूब रेणु जी