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दिल ना उम्मीद तो नहीं

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दिल ना_उम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है। लंबी है गम की शाम मगर शाम ही तो है। इश्क में दिल का टूट जाना आम ही तो है। फिर कोशिश करना इसका काम ही तो है। तू उसको खुश रखने के जतन करता चल। उसके दिल को याद ...

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लेखक के बारे में
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अमित सिंहल

मैं कवि और लेखक हूं। मैं अपनी रचनाओं के लिए विभिन्न मंचों से पुरस्कार जीत चुका हूं। मेरी कई रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। मेरी रचना साझा संकलन "शब्द दीप" में सम्मिलित है, जिसने "इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स" में स्थान बनाया है।

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    Hemlata Singhal
    05 নভেম্বর 2024
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