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दिल का तोहफ़ा

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कैसे न उनको अपने दिल का तोहफ़ा अब दूँ कैसे न अपनी जान उनके नाम अब लिख दूँ ll क्योंकि जानती हूँ करते फ़िक्र मेरी दिन और रात हैं कैसे न अपने हर तस्सवुर में उनका ही अब ज़िक्र करुँ ll अपने हर ख़्याल में है ...

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लेखक के बारे में
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Meena (Sumi) Rawlani

क्यों तुम पहचान कर भी अनजान बने रहते हो दोस्ती का मुखौटा पहनकर दुश्मनों सा व्यवहार करने लगते हो ll शायद यही होती है दोस्ती ऐसी कहलाती है दोस्ती पहले दोस्त बनाते हो फिर दुश्मन बनकर पीठ में खंजर घोपने लगते हो l Sumi

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aditi Tandon
    10 जुलाई 2024
    बातों में उनके दीदार का सुकून वाह वाह वाह जी बहुत खूब लिखा है आपने 👌👌👌
  • author
    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    09 जुलाई 2024
    बढ़िया जी।जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण।
  • author
    Pappi Jat
    09 जुलाई 2024
    वाह वाह वाह जी वाह बिलकुल बसिहयत नाम ही हे बहुत सुंदर
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    Aditi Tandon
    10 जुलाई 2024
    बातों में उनके दीदार का सुकून वाह वाह वाह जी बहुत खूब लिखा है आपने 👌👌👌
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    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    09 जुलाई 2024
    बढ़िया जी।जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण।
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    Pappi Jat
    09 जुलाई 2024
    वाह वाह वाह जी वाह बिलकुल बसिहयत नाम ही हे बहुत सुंदर