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दिल का क्या कसूर..

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दिल क्या कसूर हैं बताईये.. बून रहा था सपना सुहाना.. हम तो सपने में ही खोना चाहते थे.. लेकिन आप चाहते थे हमें सपने से जगाना.. ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vishakajadhv "शब्दसरीता"
    15 अक्टूबर 2022
    बहुत सुंदर लिखा है ✍️✍️👌👌
  • author
    Shashikant Chavan
    15 अक्टूबर 2022
    अतिशय  सुंदर 👌👌👌🍁🍁🍁🍁📝
  • author
    अनिल रघाणी
    15 अक्टूबर 2022
    वा खुप सुंदर 🌹🌹🌹🌹
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  • author
    Vishakajadhv "शब्दसरीता"
    15 अक्टूबर 2022
    बहुत सुंदर लिखा है ✍️✍️👌👌
  • author
    Shashikant Chavan
    15 अक्टूबर 2022
    अतिशय  सुंदर 👌👌👌🍁🍁🍁🍁📝
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    अनिल रघाणी
    15 अक्टूबर 2022
    वा खुप सुंदर 🌹🌹🌹🌹