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दिल चाहता है सुकून जरा

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फर्ज निभाते -निभाते अपनी थकान सी होने लगी है दिल चाहता है सुकून जरा शरीर थोङा सा आराम करना काम की अब कुछ बात न करना इतना सा बस एहसान करना सपने जो कुछ पुरे हुए नहीं लम्हे कभी जो जीए नहीं उन लम्हों को ...

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लेखक के बारे में
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Alka Sinha

मुझे पढ़ना बहुत अच्छा लगता है ,थोड़ा थोड़ा लिखना. भी

समीक्षा
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  • author
    shailesh srivastava
    02 अगस्त 2024
    very emotional lines
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    shailesh srivastava
    02 अगस्त 2024
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