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दिल चाहता है सुकून जरा

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फर्ज निभाते -निभाते अपनी थकान सी होने लगी है दिल चाहता है सुकून जरा शरीर थोङा सा आराम करना काम की अब कुछ बात न करना इतना सा बस एहसान करना सपने जो कुछ पुरे हुए नहीं लम्हे कभी जो जीए नहीं उन लम्हों को ...