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प्रो मेहता छोटे से शहर के बड़े पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के प्रिंसिपल है। थोड़ी बहुत जानकारी उन्हें हर विषय की है मगर वो पढ़ाते है इतिहास। विद्यार्थियों में उनके लिए प्रचलित है की जितना इतिहास किताबों ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Annapurna Mishra
    04 फ़रवरी 2019
    वैसे ये कहानी तो अच्छी तरह से लिखी गई है,और अगर बच्चा न हो तो इस तरह की सोंच होती भी है ससुराल वालों की,लेकिन जिस माता पिता ने अपना बच्चा खोया है,वो अपने बच्चे के बच्चे को खोने की गलती तो हर्गिज़ नहीँ करेंगे--भले ही बहु से प्यार न हो।दूसरी दुनिया में बांध कर ले जाने की व्यवस्था अभी तक की ही नहीं है ईश्वर ने।
  • author
    Sriprakash Gupta
    04 फ़रवरी 2019
    बेटी पड़ावो का सन्देश इस कहानी के द्दारा अच्छा प्रयास है!
  • author
    Ashutosh Singh
    04 फ़रवरी 2019
    educational story 👍👍
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  • author
    Annapurna Mishra
    04 फ़रवरी 2019
    वैसे ये कहानी तो अच्छी तरह से लिखी गई है,और अगर बच्चा न हो तो इस तरह की सोंच होती भी है ससुराल वालों की,लेकिन जिस माता पिता ने अपना बच्चा खोया है,वो अपने बच्चे के बच्चे को खोने की गलती तो हर्गिज़ नहीँ करेंगे--भले ही बहु से प्यार न हो।दूसरी दुनिया में बांध कर ले जाने की व्यवस्था अभी तक की ही नहीं है ईश्वर ने।
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    Sriprakash Gupta
    04 फ़रवरी 2019
    बेटी पड़ावो का सन्देश इस कहानी के द्दारा अच्छा प्रयास है!
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    Ashutosh Singh
    04 फ़रवरी 2019
    educational story 👍👍