सीढि़यां पार कर वह ऊपर पहुँचा तो दूर से ही अम्मा की झलक दिखाई दे गई। वहीं से वह चिल्लाया, ‘‘अम्मा, राम.राम!’’
अम्मा का झुर्रियों से भरा चेहरा ऊपर उठा।
‘‘कौन मुकुल है क्या?’’ और उसके साथ ही एक मीठी ...
बन्धुवर बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।संवेदनशील और भावनापूर्ण कहानी है जिसे बहुत सीधे सादे शब्दों में लिखा गया है। मां की ममता ही ऐसी होती है कि वह अपने बच्चों से दूर होकर छटपटाने लगती है।वह भूख,गरीबी,अभाव सब कुछ सह सकती है ।किंतु बच्चों से दूरी पर वह बेचैन रहती है। ममता और करूणा ही नारी की विवशता और विशेषता है।इसीलिए सब कष्ट सहन करके भी वह महान है।लेखक को बधाई और शुभकामनाएं।
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बन्धुवर बहुत-बहुत बधाई और साधुवाद।संवेदनशील और भावनापूर्ण कहानी है जिसे बहुत सीधे सादे शब्दों में लिखा गया है। मां की ममता ही ऐसी होती है कि वह अपने बच्चों से दूर होकर छटपटाने लगती है।वह भूख,गरीबी,अभाव सब कुछ सह सकती है ।किंतु बच्चों से दूरी पर वह बेचैन रहती है। ममता और करूणा ही नारी की विवशता और विशेषता है।इसीलिए सब कष्ट सहन करके भी वह महान है।लेखक को बधाई और शुभकामनाएं।
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