तेज बारिश से बिजली भी गुल हो गई थी,तभी अचानक दरवाजा किसी ने खटखटाया … देखा तो मेरी बचपन की सहेली नीतू थी,सर से पैर तक भीगी हुई, ओ नीतू आ अंदर आ,बहुत भीगी हो,पहले कपड़े देती हूँ, बदल लो… उसकी आँखें लाल ...
''कल्पना हूँ.... कल्पना कर कल्पनालोक में विचरण करती हूँ .अपनी हर कल्पना को साकार करने का जज्बा रखती हूँ '' इसी लिए कविता,लघु कथा लेखन को जीवन का अहम हिस्सा बना लिया है. ..सादर नमन ...
सारांश
''कल्पना हूँ.... कल्पना कर कल्पनालोक में विचरण करती हूँ .अपनी हर कल्पना को साकार करने का जज्बा रखती हूँ '' इसी लिए कविता,लघु कथा लेखन को जीवन का अहम हिस्सा बना लिया है. ..सादर नमन ...
रिपोर्ट की समस्या
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