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धोखा

3.8
14391

तेज बारिश से बिजली भी गुल हो गई थी,तभी अचानक दरवाजा किसी ने खटखटाया … देखा तो मेरी बचपन की सहेली नीतू थी,सर से पैर तक भीगी हुई, ओ नीतू आ अंदर आ,बहुत भीगी हो,पहले कपड़े देती हूँ, बदल लो… उसकी आँखें लाल ...

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लेखक के बारे में
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कल्पना जोशी

''कल्पना हूँ.... कल्पना कर कल्पनालोक में विचरण करती हूँ .अपनी हर कल्पना को साकार करने का जज्बा रखती हूँ '' इसी लिए कविता,लघु कथा लेखन को जीवन का अहम हिस्सा बना लिया है. ..सादर नमन ...

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rani Kumari
    05 जनवरी 2018
    ऐसे लोंगो के अंधविश्वास की वजह से बाबाओं का कारोबार चलता है,और लोग अपना सब कुछ खो देते है
  • author
    19 फ़रवरी 2019
    समस्या से भागने के बदले उसका मुकाबला करने की कोशिश करनी चाहिये ... 👌 👌
  • author
    P
    17 सितम्बर 2021
    कहानी अच्छी लगी है जो काबिले तारीफ़ है ।बधाई ।
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    Rani Kumari
    05 जनवरी 2018
    ऐसे लोंगो के अंधविश्वास की वजह से बाबाओं का कारोबार चलता है,और लोग अपना सब कुछ खो देते है
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    19 फ़रवरी 2019
    समस्या से भागने के बदले उसका मुकाबला करने की कोशिश करनी चाहिये ... 👌 👌
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    P
    17 सितम्बर 2021
    कहानी अच्छी लगी है जो काबिले तारीफ़ है ।बधाई ।