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मैं मनीष झा 'मल्हार' आप सभी प्रतिलिपि पाठकों का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ आपके सहयोग से ही मैं कुछ लिखने की हिम्मत दिखा पाया| मेरा भाषा ज्ञान बहुत ही न्यून है फिर भी मैंनें आम बोलचाल के शब्दों ...

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मल्हार

अश्कों की स्याही से उसने जख्मों को लिखा है, वो मल्हार संभलते-संभलते कई बार गिरा है| _@ मल्हार [email protected]

समीक्षा
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  • author
    Neha Khare "Noor"
    15 मई 2019
    बहुत बहुत बधाई हो सर जी 💐💐🙏और आप इसी तरह लिखते रहिए और आगे बढ़ते रहिए भगवान ने चाहा तो आप एक दिन जरूर लेखन के क्षेत्र में ऊँचाइयों पर होंगे 🙏🙏🙏
  • author
    15 मई 2019
    जी बिना काबिलियत के और परिश्रम के बिना इतनी जल्दी ये मुकाम हासिल कर पाना मुमकिन ही नहीं है ।आप यूँ ही प्रगति पथ पर अग्रसरित रहें हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं
  • author
    Vimal sid
    15 मई 2019
    यह आपके कठिन परिश्रम और निश्छल समर्पण का ही प्रतिफल है ।।मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं तथा बहुत बहुत बधाई ।।✌✌👍👍
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    Neha Khare "Noor"
    15 मई 2019
    बहुत बहुत बधाई हो सर जी 💐💐🙏और आप इसी तरह लिखते रहिए और आगे बढ़ते रहिए भगवान ने चाहा तो आप एक दिन जरूर लेखन के क्षेत्र में ऊँचाइयों पर होंगे 🙏🙏🙏
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    15 मई 2019
    जी बिना काबिलियत के और परिश्रम के बिना इतनी जल्दी ये मुकाम हासिल कर पाना मुमकिन ही नहीं है ।आप यूँ ही प्रगति पथ पर अग्रसरित रहें हमारी शुभकामनायें आपके साथ हैं
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    Vimal sid
    15 मई 2019
    यह आपके कठिन परिश्रम और निश्छल समर्पण का ही प्रतिफल है ।।मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं तथा बहुत बहुत बधाई ।।✌✌👍👍