इतनी रात का सफर किसे अच्छा लगता है भला? मगर क्या किया जाए? वहाँ के लिए बस ही रात को दो बजे के बाद मिलती है। वह भी इस शहर से नहीं बल्कि दूसरे शहर जाकर। यह तो वैसे भी कोई शहर नहीं है, कस्बा है कस्बा। ...
प्रकाशित पुस्तकें:-
कविता संग्रह- क्योंकि मैं औरत हूँ
कहानी संग्रह- समुद्र की रेत, मन का मनका फेर, सात दिन की माँ
उपन्यास- अबकी नौकरी छोड़ दूँगी, सिंहासन का शीशा
सारांश
प्रकाशित पुस्तकें:-
कविता संग्रह- क्योंकि मैं औरत हूँ
कहानी संग्रह- समुद्र की रेत, मन का मनका फेर, सात दिन की माँ
उपन्यास- अबकी नौकरी छोड़ दूँगी, सिंहासन का शीशा
Ajeeb si story h Kuch sawaal chor gayi jaise aisa kaun sa jaruri kaam tha Jo Rekha subah nhi gayi???kaise parents the Jo akele ladki Ko jaane diya??kaisa NGO tha Jo employees ki security ka dhyaan nhi rakhta???etc etc etc
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Ajeeb si story h Kuch sawaal chor gayi jaise aisa kaun sa jaruri kaam tha Jo Rekha subah nhi gayi???kaise parents the Jo akele ladki Ko jaane diya??kaisa NGO tha Jo employees ki security ka dhyaan nhi rakhta???etc etc etc
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