मेरठ में सर्वसुख नाम का एक अग्रवाल बनिया था। मंडी में आड़त की दूकान थी। आसपास के गॉंवों से लोग सौदा लाते। इसकी दुकान पर बेच जाते। पैसा-रुपया तुलाई का इसके हाथ भी लग जाता। और कभी भाव चढ़ा देखता तो ...
बहुत सुंदर कहानी है आपकी । अगर मैं अपने नजरिए से कहूं तो घर परिवार को बनाने और बिगाड़ने में घर परिवार की महिलाओं की ही जिम्मेदारी और भागीदारी होती हैं । क्योंकि जब तक भाईयों में प्रेम बना रहता है जब तक भाईयों में एक की शादी होती है तब उनके बीच थोड़ा बहुत मन मुटाव हो जाता हैं लेकिन आपस में प्रेम बना रहता है, जबकि इस के विपरित दो भाईयों या सभी भाईयों की शादी हो जाती है तो घर परिवार में कुछ समय बाद ही खुशर फुशर होनी शुरू हो जाती है । मैं यह नहीं कहता कि सभी घर परिवार में ऐसा होता है । जिस परिवार में महिलाओं को अच्छी शिक्षा और अच्छा शिष्टाचार और अच्छे आचरण में परवरिश की जाती है वे सभी महिलाएं अपने परिवार और अपने ससुराल में एक मिसाल कायम करती हैं । इसीलिए मेरा मानना है कि महिलाएं ही पुरुष को सुधारने और बिगाड़ने का प्रयास अपनी सुझ बुझ से कर सकती हैं । इसके साथ ही मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि अगर किसी को मेरी बातों से कष्ट या किसी के मान सम्मान को ठेस पहुंची हो तो अपने दोनों हाथ जोड़ कर माफी मांगता हूं।
धन्यवाद आपका इस कहानी के माध्यम से अपने समाज के लोगों को घर परिवार की समस्याओं की ओर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए इस कहानी का सहारा लिया ।
धन्यवाद आपका
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लेखक शायद ये बताना चाह रहे है कि एक पढ़ी लिखी और एक अनपढ़ स्त्री के गृहसंचालन ,व्यव्हार और स्थिती में किस तरह अंतर होता है और परिवार पर उसका कैसा असर पड़ता है। पर जैसा उन्होंने चित्रित किया है जरूरी नही ऐसा हो ।मेरे विचार से शिक्षा से ज्यादा इंसान की सोच मायने रखती है। कभी कभी खूब पढ़ेलिखे लोग भी मूर्खतापूर्ण व्यव्हार करते है,और क़भीकभी अनपढ़ व्यक्ति भी आत्मीय और अत्यन्त समझदारी वाला व्यव्हार व निर्णय लेते हैं।सब सोच पर निर्भर करता है।
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बहुत सुंदर कहानी है आपकी । अगर मैं अपने नजरिए से कहूं तो घर परिवार को बनाने और बिगाड़ने में घर परिवार की महिलाओं की ही जिम्मेदारी और भागीदारी होती हैं । क्योंकि जब तक भाईयों में प्रेम बना रहता है जब तक भाईयों में एक की शादी होती है तब उनके बीच थोड़ा बहुत मन मुटाव हो जाता हैं लेकिन आपस में प्रेम बना रहता है, जबकि इस के विपरित दो भाईयों या सभी भाईयों की शादी हो जाती है तो घर परिवार में कुछ समय बाद ही खुशर फुशर होनी शुरू हो जाती है । मैं यह नहीं कहता कि सभी घर परिवार में ऐसा होता है । जिस परिवार में महिलाओं को अच्छी शिक्षा और अच्छा शिष्टाचार और अच्छे आचरण में परवरिश की जाती है वे सभी महिलाएं अपने परिवार और अपने ससुराल में एक मिसाल कायम करती हैं । इसीलिए मेरा मानना है कि महिलाएं ही पुरुष को सुधारने और बिगाड़ने का प्रयास अपनी सुझ बुझ से कर सकती हैं । इसके साथ ही मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि अगर किसी को मेरी बातों से कष्ट या किसी के मान सम्मान को ठेस पहुंची हो तो अपने दोनों हाथ जोड़ कर माफी मांगता हूं।
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