स्त्री देह से इतर जीने लगी मन की बातें / कविताओं में कहने लगी तलाशने लगी / अपना खोया वजूद अनकहा / कुछ -कुछ / कड़वा /तीता सा आने लगा बाहर हल्का होने लगा मन / किन्तु मौन के मुखर होते ही चटक गए कुछ ...
नारी के शरीर, मन, व्यवहार व विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन बहुत ही सुन्दर संजीदगी से किया है। नारी के लगभग प्रत्येक पहलू को प्रदर्शित किया है इस रचना के माध्यम से। मन को गहराई तक प्रभावित करनेवाली रचना है यह। बहुत बहुत बधाई।
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नारी के शरीर, मन, व्यवहार व विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन बहुत ही सुन्दर संजीदगी से किया है। नारी के लगभग प्रत्येक पहलू को प्रदर्शित किया है इस रचना के माध्यम से। मन को गहराई तक प्रभावित करनेवाली रचना है यह। बहुत बहुत बधाई।
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