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देह से परे स्त्री

4.3
821

स्त्री देह से इतर जीने लगी मन की बातें / कविताओं में कहने लगी तलाशने लगी / अपना खोया वजूद अनकहा / कुछ -कुछ / कड़वा /तीता सा आने लगा बाहर हल्का होने लगा मन / किन्तु मौन के मुखर होते ही चटक गए कुछ ...

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लेखक के बारे में
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आरती तिवारी
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Bhaskar Rai
    26 अक्टूबर 2015
    एक सशक्त रचना....नारीमन को हर नजरिये से बड़ी ही संजीदगी के साथ उकेरती कविता !!! बोधगम्य शब्दों के साथ..!!
  • author
    Ravishanker Verma
    13 अक्टूबर 2015
    नारी के शरीर, मन, व्यवहार व विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन बहुत ही सुन्दर संजीदगी से किया है। नारी के लगभग प्रत्येक पहलू को प्रदर्शित किया है इस रचना के माध्यम से। मन को गहराई तक प्रभावित करनेवाली रचना है यह। बहुत बहुत बधाई।  
  • author
    23 जनवरी 2019
    बहुत सुन्दर लिखा है आपने
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    Bhaskar Rai
    26 अक्टूबर 2015
    एक सशक्त रचना....नारीमन को हर नजरिये से बड़ी ही संजीदगी के साथ उकेरती कविता !!! बोधगम्य शब्दों के साथ..!!
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    Ravishanker Verma
    13 अक्टूबर 2015
    नारी के शरीर, मन, व्यवहार व विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन बहुत ही सुन्दर संजीदगी से किया है। नारी के लगभग प्रत्येक पहलू को प्रदर्शित किया है इस रचना के माध्यम से। मन को गहराई तक प्रभावित करनेवाली रचना है यह। बहुत बहुत बधाई।  
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    23 जनवरी 2019
    बहुत सुन्दर लिखा है आपने