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'दीवार में एक खिड़की रहती थी' को पढ़ते हुए

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दीवार में एक खिड़की रहती थी। अजीब सा नाम है न। कुछ किताबों के नाम अजीब से होते हैं और उतनी ही अजीब कहानी होती है। हिन्दी के एक नामचीन वरिष्ठ लेखक हैं श्री विनोद कुमार शुक्ल। शुक्ल जी की यह किताब ...

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लेखक के बारे में

अजीतपाल सिंह दैया अहमदाबाद (गुजरात) के रहने वाले हैं और जोधपुर के एम बी एम इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल अभियांत्रिकी में स्नातक हैं। कविता, कहानी, लघुकथा और उपन्यास लेखन जैसी विधा में लिखते रहें हैं। हिन्दी के अलावा अंग्रेज़ी, उर्दू और राजस्थानी भाषा में लेखन करते हैं। एक उपन्यास Estranged प्रकाशित हुआ है। दो कविता संग्रह 'अप्पो दीपो भव" एवं ‘फ़िलहाल’ प्रकाशित। प्रेम कहानियों की किताब "रूमान" प्रकाशित।इसके अलावा छिटपुट रचनाएँ राजस्थान पत्रिका, इतवारी पत्रिका, बालहंस, लोटपोट, जलते दीप, अकादमी कृति आदि में प्रकाशित। आकाशवाणी जोधपुर से कवितायें और सामाजिक विषयों पर वार्ताएं प्रसारित। लेखन के अतिरिक्त वह स्केचिंग, पेंटिंग और कार्टून बनाने का शौक रखते हैं। दैया की रचनाएँ ब्लॉग poetry-ajit.blogspot.in पर भी पढ़ी जा सकती हैं  

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aleem Anzar "अंज़र"
    17 फ़रवरी 2022
    इस खिड़की में जाना है अब तो मुझे भी , पड़ना होगा दिवार में........
  • author
    P Ram
    15 जुलाई 2020
    अजीत जी , आपकी समीक्षा तो मुझे किताब पढ़ने पर मजबूर कर चुकी है ।👏👏👌😃👍
  • author
    Sheilendra Singh
    06 जुलाई 2025
    बढ़िया है
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    Aleem Anzar "अंज़र"
    17 फ़रवरी 2022
    इस खिड़की में जाना है अब तो मुझे भी , पड़ना होगा दिवार में........
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    P Ram
    15 जुलाई 2020
    अजीत जी , आपकी समीक्षा तो मुझे किताब पढ़ने पर मजबूर कर चुकी है ।👏👏👌😃👍
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    Sheilendra Singh
    06 जुलाई 2025
    बढ़िया है