जिंदगी भर तेरी बांहों में मैं रहूँ.
आँखों से प्यार का जाम पीता रहूँ
अश्क हो या हँसी, साथ शामिल हो हम
साथ ही मैं मरुँ, साथ जीता रहूँ || तेरे ख्वाबों को सारे सजा मैं सकूँ
जिंदगी में तेरी भर दूँ सारे ...
रणजीत प्रताप सिंह प्रतिलिपी के सह-संस्थापक हैं, उन्होने कमप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग एवम एम.बी.ए भी किया हुआ है। प्रतिलिपी से पहले वे सिटी बैंक(Citibank) एवम वोदाफोन(Vodafone) में काम कर चुके हैं। लेकिन इन सबसे अधिक वे अपने आप को एक पाठक के तौर पर पहचानते हैं, वे लेखक या रचनाकार बिल्कुल नहीं, लेकिन कभी कभी चंद पंक्तियां लिख देते हैं।
सारांश
रणजीत प्रताप सिंह प्रतिलिपी के सह-संस्थापक हैं, उन्होने कमप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग एवम एम.बी.ए भी किया हुआ है। प्रतिलिपी से पहले वे सिटी बैंक(Citibank) एवम वोदाफोन(Vodafone) में काम कर चुके हैं। लेकिन इन सबसे अधिक वे अपने आप को एक पाठक के तौर पर पहचानते हैं, वे लेखक या रचनाकार बिल्कुल नहीं, लेकिन कभी कभी चंद पंक्तियां लिख देते हैं।
रिपोर्ट की समस्या
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