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दीपक तले अंधेरा

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ये दुनिया भी कमाल की है । क्या क्या रंग दिखाती है । उजालों के जो ठेकेदार बने बैठे हैं , उनके घरों की रोशनी गायब हो जाती है । अध्यापक का बेटा अनपढ रह जाता है थानेदार का चोर उचक्का । जज की नाक के ...

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लेखक के बारे में
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श्री हरि

हरि का अंश, शंकर का सेवक हरिशंकर कहलाता हूँ अग्रसेन का वंशज हूँ और "गोयल" गोत्र लगाता हूँ कहने को अधिकारी हूँ पर कवियों सा मन रखता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैं दिल से करता हूँ ।। गंगाजल सा निर्मल मन , मैं मुक्त पवन सा बहता हूँ सीधी सच्ची बात मैं कहता , लाग लपेट ना करता हूँ सत्य सनातन परंपरा में आनंद का अनुभव करता हूँ हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान से बेहद, प्यार मैंदिल से करता हूँ

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  • author
    Hemalata Godbole
    29 अक्टूबर 2021
    सैकड़ों को खाना और प्यार ममता देने वाली मां , खुदभूखीप्यासी तिरस्कृत रह जाती है । । हजारों मकान बनाने वाला बेघर मर जाता है । सबको दूध पिलाने वाली गाय का बछडा भूखा रह जाता है। कहीं ज्ञानेश्वर ही सही ज्ञान खोजते है और चौथी तक पढा , विद्यापीठ चलाता है । सबको साफ करने वाली गंगा ही प्रदूषित है । दुनिया बनाने वाले भगवान को छोटा सा कलाकार बनाता है और दीपावली के दिये बनानेवाला , खुद अंधेरे मे बैठा दूसरों की दीवाली रोशन करता है। । सबको काम पर लगाने वाला ही सबका नौकर है सब अपने हिस्से का काम कर छुट्टी मनाते हैं और मालिक को छुट्टी नही । 💕💕💓💞💞शुभदीपावली
  • author
    Meera Sajwan "मानवी"
    30 अक्टूबर 2021
    वाह लाजवाब यथार्थपरक, सार्थक अभिव्यक्ति 👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏👏समाज को दर्पण दिखाती बेहतरीन रचना।
  • author
    30 अक्टूबर 2021
    बिल्कुल सही बात लिखी है आपने । आजकल कि दुनिया बड़ी विचित्र है ।
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    Hemalata Godbole
    29 अक्टूबर 2021
    सैकड़ों को खाना और प्यार ममता देने वाली मां , खुदभूखीप्यासी तिरस्कृत रह जाती है । । हजारों मकान बनाने वाला बेघर मर जाता है । सबको दूध पिलाने वाली गाय का बछडा भूखा रह जाता है। कहीं ज्ञानेश्वर ही सही ज्ञान खोजते है और चौथी तक पढा , विद्यापीठ चलाता है । सबको साफ करने वाली गंगा ही प्रदूषित है । दुनिया बनाने वाले भगवान को छोटा सा कलाकार बनाता है और दीपावली के दिये बनानेवाला , खुद अंधेरे मे बैठा दूसरों की दीवाली रोशन करता है। । सबको काम पर लगाने वाला ही सबका नौकर है सब अपने हिस्से का काम कर छुट्टी मनाते हैं और मालिक को छुट्टी नही । 💕💕💓💞💞शुभदीपावली
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    Meera Sajwan "मानवी"
    30 अक्टूबर 2021
    वाह लाजवाब यथार्थपरक, सार्थक अभिव्यक्ति 👌👌👌👌👌👏👏👏👏👏👏समाज को दर्पण दिखाती बेहतरीन रचना।
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    30 अक्टूबर 2021
    बिल्कुल सही बात लिखी है आपने । आजकल कि दुनिया बड़ी विचित्र है ।