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डियर पापा और पापा जी

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जन्मदाता पिता, तुमने दिया हमें जीवन का उपहार, तुम्हारी गोद में हमने पाया, बचपन का अनमोल प्यार। हर मुश्किल में तुम थे साथ, छाँव बनकर हमारी राहों में, तुम्हारे बिना अधूरी थी, हमारी हर छोटी बड़ी ख़ुशी। ...

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लेखक के बारे में
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Ritu Goel

वैसे तो खुली किताब हूं मैं, ना समझो तो गहरी पहेली हूं मैं उड़ती हूं परिंदों की तरह खुली हवा आशियाना मेरा

समीक्षा
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    16 జూన్ 2024
    बहुत सुंदर!
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