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दायरों से निकल कर

4.3
6236

पिछले एक घंटे से सोफे पर बैठी साक्षी गंभीर मुद्रा में मन ही मन जैसे अपने आप से बातें किये जा रही थी | पता नहीं आजकल घर का माहौल तनाव भरा क्यूँ है ? पता नहीं अजय आजकल इतना बदल क्यों गए है ? शादी ...

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लेखक के बारे में
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समीक्षा
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  • author
    Dr. Lal Mohamamed
    01 सितम्बर 2025
    वाह वाह बहुत बेहतरीन खूबसूरत और भावपूर्ण, लाजवाब रचना। स्टीकर से सम्मानित। मेरी रचनाओ को पढ़कर अपेक्षित मार्गदर्शन और मुल्यवान समीक्षाए प्रदान करे। फोलो अवश्य करे। अगर अच्छा लगे तो स्टीकर से प्रोत्साहित भी करें।👌👌👌👌👌👌👌👌🙋
  • author
    राम किशन
    22 सितम्बर 2017
    दिलचस्प...फिर भी है तो कहानी ही. रिश्तों की उलझनें इतनी सरलता से कहाँ सुलझती है.
  • author
    Pushplata Kushwaha
    28 मई 2019
    Reality based story nice solution given in the end
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    Dr. Lal Mohamamed
    01 सितम्बर 2025
    वाह वाह बहुत बेहतरीन खूबसूरत और भावपूर्ण, लाजवाब रचना। स्टीकर से सम्मानित। मेरी रचनाओ को पढ़कर अपेक्षित मार्गदर्शन और मुल्यवान समीक्षाए प्रदान करे। फोलो अवश्य करे। अगर अच्छा लगे तो स्टीकर से प्रोत्साहित भी करें।👌👌👌👌👌👌👌👌🙋
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    राम किशन
    22 सितम्बर 2017
    दिलचस्प...फिर भी है तो कहानी ही. रिश्तों की उलझनें इतनी सरलता से कहाँ सुलझती है.
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    Pushplata Kushwaha
    28 मई 2019
    Reality based story nice solution given in the end