pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दवा की पुड़िया

5
10

दवा की पुड़िया काश ऐसी कोई दवा की, पुड़िया होती, खा कर उस पुड़िया को, उन यादों से राहत पाते, टीस रही जो दिल को। जीने की राह सुगम बनाते। ढोते ढोते इन यादों का, भार सहा नहीं जाता ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Manju Pant

साधारण भारतीय ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    04 ഡിസംബര്‍ 2024
    बाह बहुत कमाल लिख दिया आपने, दवा की ऐसी पुड़िया के लिए जो दिल में टिस भरी यादों को मिटा दे।ऐसी पुड़िया तो मिले न मिले, मगर समय का प्रवाह हर सुख दुख टिस को अपनी अंतराल के मरहम से मिटा ही देता है। आंखों से हुई गलती के लिए बस पाश्चाताप ही काफी है,, फिर भी समय के अधीन सब कुछ है। रचना बहुत भावभीनी है, और हृदय पर अपनी एक छाप छोड़ जाती है।आप बहुत अच्छा लिख रही हैं। बधाईयां है आपको हार्दिक शुभकामनाएं भी आदरणीया।😃🌹🙏
  • author
    24 നവംബര്‍ 2024
    वाह.. हल्के फुल्के अंदाज में लिखी गई बढ़िया पेशकश आपकी... 🙏🙏👌👌💐💐
  • author
    श्वेता विजय mishra
    24 നവംബര്‍ 2024
    बहुत भावुक और संवेदना भरी रचना बहुत बहुत सटीक लिखा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    04 ഡിസംബര്‍ 2024
    बाह बहुत कमाल लिख दिया आपने, दवा की ऐसी पुड़िया के लिए जो दिल में टिस भरी यादों को मिटा दे।ऐसी पुड़िया तो मिले न मिले, मगर समय का प्रवाह हर सुख दुख टिस को अपनी अंतराल के मरहम से मिटा ही देता है। आंखों से हुई गलती के लिए बस पाश्चाताप ही काफी है,, फिर भी समय के अधीन सब कुछ है। रचना बहुत भावभीनी है, और हृदय पर अपनी एक छाप छोड़ जाती है।आप बहुत अच्छा लिख रही हैं। बधाईयां है आपको हार्दिक शुभकामनाएं भी आदरणीया।😃🌹🙏
  • author
    24 നവംബര്‍ 2024
    वाह.. हल्के फुल्के अंदाज में लिखी गई बढ़िया पेशकश आपकी... 🙏🙏👌👌💐💐
  • author
    श्वेता विजय mishra
    24 നവംബര്‍ 2024
    बहुत भावुक और संवेदना भरी रचना बहुत बहुत सटीक लिखा