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दत्तक पुत्री

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'वो यहीं रहेगी; और कुछ कहना है तुम्हे? अर्णव  ने आशा के लंबे प्रतिवाद का संक्षिप्त उत्तर दिया ।" हां तो सुन लो ; मेरा मायका भी कोई दरिद्र नहीं है, मैं भी कल चली जाउंगी। तुम सेवक बने रहो अपनी बहन ...

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लेखक के बारे में

जय माता दी 🙏( " just be optimist .." ) from - Deoria ..😊 mother land .Bihar ..( दिल तो बच्चा है जी ..")

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    पवनेश मिश्रा
    31 मार्च 2021
    दत्तक पुत्री, झूठे दंभ और दिखावे में इंसान जो कर जाए सिर्फ वही कम है, शिखा का दत्तक होना अपराध तो किसी से दृष्टिकोण से नहीं हो सकता उर्मिला जी, फिर भी दंश झेलती रही। अन्त सुखांत हुआ है लेकिन एक बङा सवाल छोड़ गया है कि जिस इंसान से निरपराध होने पर अपराधी की तरह बर्ताव किया गया है उसका अपराधी कौन होगा? व्यक्ति समाज या ईश्वर, बहुत बहुत बधाई आपको 🙏🌹🙏,
  • author
    Tara Gupta
    30 मार्च 2021
    नारी सशक्तिकरण का सुन्दर चित्रण बेहतरीन रचना
  • author
    Shashi Prabha
    30 मार्च 2021
    बहुत ही बेहतरीन कहानी👍👍
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    पवनेश मिश्रा
    31 मार्च 2021
    दत्तक पुत्री, झूठे दंभ और दिखावे में इंसान जो कर जाए सिर्फ वही कम है, शिखा का दत्तक होना अपराध तो किसी से दृष्टिकोण से नहीं हो सकता उर्मिला जी, फिर भी दंश झेलती रही। अन्त सुखांत हुआ है लेकिन एक बङा सवाल छोड़ गया है कि जिस इंसान से निरपराध होने पर अपराधी की तरह बर्ताव किया गया है उसका अपराधी कौन होगा? व्यक्ति समाज या ईश्वर, बहुत बहुत बधाई आपको 🙏🌹🙏,
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    Tara Gupta
    30 मार्च 2021
    नारी सशक्तिकरण का सुन्दर चित्रण बेहतरीन रचना
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    Shashi Prabha
    30 मार्च 2021
    बहुत ही बेहतरीन कहानी👍👍