'वो यहीं रहेगी; और कुछ कहना है तुम्हे? अर्णव ने आशा के लंबे प्रतिवाद का संक्षिप्त उत्तर दिया ।" हां तो सुन लो ; मेरा मायका भी कोई दरिद्र नहीं है, मैं भी कल चली जाउंगी। तुम सेवक बने रहो अपनी बहन ...
दत्तक पुत्री, झूठे दंभ और दिखावे में इंसान जो कर जाए सिर्फ वही कम है, शिखा का दत्तक होना अपराध तो किसी से दृष्टिकोण से नहीं हो सकता उर्मिला जी, फिर भी दंश झेलती रही। अन्त सुखांत हुआ है लेकिन एक बङा सवाल छोड़ गया है कि जिस इंसान से निरपराध होने पर अपराधी की तरह बर्ताव किया गया है उसका अपराधी कौन होगा? व्यक्ति समाज या ईश्वर, बहुत बहुत बधाई आपको 🙏🌹🙏,
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दत्तक पुत्री, झूठे दंभ और दिखावे में इंसान जो कर जाए सिर्फ वही कम है, शिखा का दत्तक होना अपराध तो किसी से दृष्टिकोण से नहीं हो सकता उर्मिला जी, फिर भी दंश झेलती रही। अन्त सुखांत हुआ है लेकिन एक बङा सवाल छोड़ गया है कि जिस इंसान से निरपराध होने पर अपराधी की तरह बर्ताव किया गया है उसका अपराधी कौन होगा? व्यक्ति समाज या ईश्वर, बहुत बहुत बधाई आपको 🙏🌹🙏,
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