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दत्तक पुत्र

4.7
31394

"आंटी कुछ खाने को दो ना.." पहली बार उसके मुँह से यही आवाज सुनी थी जब पहली बार उसे अपने द्वार पर खड़ा देखा था। करीब सात साल का होगा वो। सुंदर गोरा चेहरा पर सूखा हुआ। शायद भूख से चेहरा सूख चुका था। ...

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लेखक के बारे में
author
Aishwaryada Mishra

कहानी अपने आसपास चलते रहते हैं और मैं उन्हें पन्नों पर उतारती हूॅं

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kamlesh Patni
    11 जनवरी 2020
    बहुत सुंदर कहानी है।बेसहारे को सहारा देकर उसका जीवन सार्थक कर दिया।जो भी व्यक्ति या संस्थाएँ ऐसे काम कर रहे हैं वे सब धन्यवाद के पात्र हैं।
  • author
    Paramjeet Kaur
    06 जुलाई 2020
    सबसे पहले इस सुंदर कहानी के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई सच इतनी बेहतरीन कहानी को पढ़ते पढ़ते मैं इस कहानी में कही खो सी गई धन्यवाद जी आपका
  • author
    Hema Ray
    11 जून 2021
    सच ही कहा गया है कि जन्म देने वाले से अधिक पालने वाले ही संस्कार देते हैं।कहानी का हर शब्द बेहद संवेदनशील है।आंखे भर आई 👏👏👏।
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    Kamlesh Patni
    11 जनवरी 2020
    बहुत सुंदर कहानी है।बेसहारे को सहारा देकर उसका जीवन सार्थक कर दिया।जो भी व्यक्ति या संस्थाएँ ऐसे काम कर रहे हैं वे सब धन्यवाद के पात्र हैं।
  • author
    Paramjeet Kaur
    06 जुलाई 2020
    सबसे पहले इस सुंदर कहानी के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई सच इतनी बेहतरीन कहानी को पढ़ते पढ़ते मैं इस कहानी में कही खो सी गई धन्यवाद जी आपका
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    Hema Ray
    11 जून 2021
    सच ही कहा गया है कि जन्म देने वाले से अधिक पालने वाले ही संस्कार देते हैं।कहानी का हर शब्द बेहद संवेदनशील है।आंखे भर आई 👏👏👏।