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दस्तक़

16147
4.5

विद्यालय जाने की तैयारी में थी ,कि एक दस्तक हुआ घण्टी बजी ,मैं थोड़ा झुंझलाते हुए दरवाजा खोली तो सामने एक अधेड़ को खड़े पायी ।एक हाथ में थैला दूसरे में एक रसीद बुक था ।बड़ी शालिनता से उस सज्जन ने ...