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दरिद्र नारायण

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एक थे राजा बड़े महान करती प्रजा बड़ा सम्मान राजा बड़े प्रतापी थे प्रजा को मानें पुत्र समान पर चैन न आये मन में सर दर्द से से फटा जाये सदा रहते थे बेचैन समझ न पाते बेचैनी का कारण ॠषि-मुनि के पास ...

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लेखक के बारे में
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Saraswati Mishra

मैं सरस्वती मिश्रा जिला-मधुबनी ग्राम-भोजपंडौल मैं बचपन से पटना में, यहीं पली-बढी।मेरे पिता यहीं उच्च न्यायालय मे कार्यरत थे ।नारी शिक्षा के प्रति काफी रूझान था।हमलोगों को पढने का सुअवसर प्रदान किया। उनके नजर में महिलाओं का पढना बहुत आवश्यक है क्योंकि महिला अगर शिक्षित होंगी तो वो दो कुल को शिक्षित करेंगी । मेरा बचपन पटना में ही गुजरा ।यही से मैं प्रारंभिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा प्राप्त की। पटना विश्वविद्यालय से बी एड एवं मगध विश्व विद्यालय से स्नातकोत्तर की।बचपन से शिक्षिका बनना चाहती थी अपनी माँ के सहयोग से मैं 1974 मे शिक्षिका बनी ।मुझे बच्चों को पढाना बहुत अच्छा लगता था ।मैं अपने कार्य क्षेत्र मे आगे बढना चाहती थी मैं प्रयासरत रही ।कम उम्र में शादी हो चुकी थी बच्चे भी थे ।बहुत सारी कठिनाइयाँ थी फिर भी मैं प्रयासरत रही, माँ एवं भाई बहनों के सहयोग से आगे गयी। 1982ई में मैं गंगा देवी महिला महाविद्यालय में प्राध्यापिका पद पर नियुक्त हुई। मै मैथिली विभाग में प्रथम पद पद पर थी ।2015ई में मैं सेवा निवृत्त हो गयी । मुझे

समीक्षा
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    13 मई 2022
    बहुत सुंदर लिखा आप ने 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 👌👌👌👌👌 🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱✍️👌🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱
  • author
    शानदार और जानदार प्रस्तुति। बेहतरीन अभिव्यक्ति। लाजवाब अभिव्यक्ति
  • author
    Amrita Singh "Rajput"
    12 मई 2022
    बहुत खूबसूरत रचना लिखा है आपने बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार
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    13 मई 2022
    बहुत सुंदर लिखा आप ने 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 👌👌👌👌👌 🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱✍️👌🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱
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    शानदार और जानदार प्रस्तुति। बेहतरीन अभिव्यक्ति। लाजवाब अभिव्यक्ति
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    Amrita Singh "Rajput"
    12 मई 2022
    बहुत खूबसूरत रचना लिखा है आपने बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार