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दर्द भरा अधूरा प्यार

4.4
27871

वो बहुत शर्मीला था! वो बेबाक थी थोड़ी! रेलवे कालोनी में रहते थे दोनों! लड़की के पिता जी रेलवे में बाबू थे, लड़के के पिता जी टीटी! लड़का बॉयज स्कूल पे पढता था! लड़की कोएड! लड़का बहुत एवरेज दिखता था, पतला ...

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लेखक के बारे में
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विकास गौर

ठाकुर विकास प्रताप सिंह गौर कानपुर देहात(रसूलाबाद)

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    08 मई 2018
    समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता हैं , हम भी हमारी भावनाएं भी ...पर कुछ लोग वही खड़े रह जाते हैं , बदल नहीं पाते..। बहुत अच्छी कहानी ,भावनाओं को कागज़ पे उतारने की अच्छी कोशिश ।
  • author
    08 मई 2018
    आँखें नम हो गयीं। बस...अभिनव और अपने रिश्ते की झलक दिखी और भविष्य की तस्वीर देख कर मन रो पड़ा। नहीं, सच में...पलकों पर पानी अब भी है; जबकि मैं ये कमेंट टाइप कर रहा हूँ। आपको 100आउट ऑफ़ 100.
  • author
    आनन्द प्रकाश "Azaad"
    12 मई 2018
    बचपन के प्यार अक्सर अधूरे रह जाते हैं। बस कसक रह जाती है, उम्रभर के लिए। सुन्दर रचना।
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    08 मई 2018
    समय के साथ बहुत कुछ बदल जाता हैं , हम भी हमारी भावनाएं भी ...पर कुछ लोग वही खड़े रह जाते हैं , बदल नहीं पाते..। बहुत अच्छी कहानी ,भावनाओं को कागज़ पे उतारने की अच्छी कोशिश ।
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    08 मई 2018
    आँखें नम हो गयीं। बस...अभिनव और अपने रिश्ते की झलक दिखी और भविष्य की तस्वीर देख कर मन रो पड़ा। नहीं, सच में...पलकों पर पानी अब भी है; जबकि मैं ये कमेंट टाइप कर रहा हूँ। आपको 100आउट ऑफ़ 100.
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    आनन्द प्रकाश "Azaad"
    12 मई 2018
    बचपन के प्यार अक्सर अधूरे रह जाते हैं। बस कसक रह जाती है, उम्रभर के लिए। सुन्दर रचना।