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हिन्दी

डर

4.2
11769

“आपको कहाँ जाना है ?“ बस में से मेरे साथ उतरे जोड़े में से स्त्री ने पूछा। “शास्त्री नगर।” “वह इलाका तो सेफ है। पर वहाँ जाने का रास्ता...।” पुरुष बोला । “आप किधर जाएंगे ?“ घबराहट में मेरे मुँह से ...

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लेखक के बारे में
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सुभाष नीरव

जन्म : 27-12-1953, मुरादनगर(उत्तर प्रदेश)प्रकाशित कृतियाँ : तीन कहानी संग्रह हिंदी में (दैत्य तथा अन्य कहानियाँ, औरत होने का गुनाह, आख़िरी पड़ाव का दु:ख), एक कहानी संग्रह पंजाबी में – ‘सुभाष नीरव दीआं चौणवियां कहाणियाँ’। दो कविता संग्रह(यत्किंचित, रोशनी की लकीर), दो लघुकथा संग्रह (कथा बिन्दु, सफ़र में आदमी), दो बाल कहानी संग्रह(मेहनत की रोटी और सुनो कहानी राजा)। पंजाबी से 40 पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद।ब्लॉग्स : साहित्य और अनुवाद से संबंधित अंतर्जाल पर ब्लॉग्स- ‘सेतु साहित्य’, ‘कथा पंजाब’, ‘सृजन यात्रा’, ‘गवाक्ष’ और ‘वाटिका’।

समीक्षा
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  • author
    Prateek Shukla
    01 नोव्हेंबर 2017
    bilkul bakwas. aisi story to koi chota bacha bhi likh le. fizul me time waste hua.
  • author
    20 एप्रिल 2017
    बहुत सुन्दर कथा
  • author
    Vibha Rashmi
    23 फेब्रुवारी 2017
    डर कथा साँस रोक कर पढ़ गई । बहुत सुन्दर है कथा । इंसानियत हमेशा ज़िंदा रहती है चंद लोगों के कारण । भरोसे पर जग कायम हे और रिश्ते भी । भाईचारे व विश्वास का संदेश देती बहुत सशक्त अभिव्यक्ति । बधाई सुभाष भाई प्रतिलिपि व वीणा जी को हमें पढ़वाने के लिये ।
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    Prateek Shukla
    01 नोव्हेंबर 2017
    bilkul bakwas. aisi story to koi chota bacha bhi likh le. fizul me time waste hua.
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    20 एप्रिल 2017
    बहुत सुन्दर कथा
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    Vibha Rashmi
    23 फेब्रुवारी 2017
    डर कथा साँस रोक कर पढ़ गई । बहुत सुन्दर है कथा । इंसानियत हमेशा ज़िंदा रहती है चंद लोगों के कारण । भरोसे पर जग कायम हे और रिश्ते भी । भाईचारे व विश्वास का संदेश देती बहुत सशक्त अभिव्यक्ति । बधाई सुभाष भाई प्रतिलिपि व वीणा जी को हमें पढ़वाने के लिये ।