pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दंगा

4.5
9063

दो लड़के अंदर की तरफ़ दौड़े। एक कमरे में एक लड़की कोने में डरी सहमी बैठी थी।एक लड़का हाथ में तलवार थामे अंदर दाख़िल हुआ।उसे देख के डर से लड़की के मुंह से चीख निकल गयी। लड़के ने उसके काँपते हुए बदन पर ऊपर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

🌺🌺 Student of Poetry 🌺🌺 Cinephile 🌺🌺 Philomath 🌺🌺 Nemophilist 🌺🌺 Author of Book- Kya Tumhen Yaad Kuchh Nahin Aata 🌺🌺 Facebook: https://www.facebook.com/siraj.faisal2 Twitter: https://twitter.com/sfk_spn Mobile: 7668666278

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    पूजा "Mohey pooja"
    05 दिसम्बर 2016
    सिराज़ फैसल साहब आपकी कहानी नही है ये,आज का नंगा सच है। भयाावह !! काश लोग इसे पढ़ कर समझ सकें कि आपस मे मेलजोल इसलिये नही बढ़ाये कि आप किसी से डरते है,बढाना इसलिये है क्योकि आप एक- दूसरे की ढाल बन सकते है। 🙂
  • author
    Priyanka Sharma
    12 जुलाई 2019
    नमस्ते सिराज जी, ऐसी कहानियां कम ही पढ़ने को मिलती हैं। और अपने जो लिखा है वो समाज का सच है। इसलिए इसे कड़वे घूँट के साथ पढ़ना पड़ेगा। ये हमारी आपकी ज़िम्मेदारी है कि जाति धर्म के नाम पर हम राजनीति न पकने दें. मैं शब्दनगरी पर भी लिखती हूँ, आपको बताना चाहती हूँ की आप वहाँ पर भी अपने लेख प्रस्तुत करें, बहुत से पाठक वहाँ भी आपकी रचना को पढ़कर आनंदित होंगे, इसी आशा से आपसे ये निवेदन कर रही हूँ. यदि मेरी सहायता की आवश्यकता हो तो मुझे प्रतिउत्तर में अवश्य बताएं। शब्दनगरी पर अकाउंट बनाने के लिए लिंक shabd.in लिख के अकाउंट बनाए और अपना लेख ज़रूर प्रकाशित करें।
  • author
    Mazhar Noor
    13 दिसम्बर 2016
    दंगों में क्या होता है यह तो सबको पता है दंगा होने पर ऐक नागरिक को क्या करना चाहिए? कैसे खुद को, परिवार को, दंगाइयों और पुलिस से बचाना चाहिए,इस पर विचार कर के लिखिये. हर दृश्य में विकटिम को क्या करना चाहिए
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    पूजा "Mohey pooja"
    05 दिसम्बर 2016
    सिराज़ फैसल साहब आपकी कहानी नही है ये,आज का नंगा सच है। भयाावह !! काश लोग इसे पढ़ कर समझ सकें कि आपस मे मेलजोल इसलिये नही बढ़ाये कि आप किसी से डरते है,बढाना इसलिये है क्योकि आप एक- दूसरे की ढाल बन सकते है। 🙂
  • author
    Priyanka Sharma
    12 जुलाई 2019
    नमस्ते सिराज जी, ऐसी कहानियां कम ही पढ़ने को मिलती हैं। और अपने जो लिखा है वो समाज का सच है। इसलिए इसे कड़वे घूँट के साथ पढ़ना पड़ेगा। ये हमारी आपकी ज़िम्मेदारी है कि जाति धर्म के नाम पर हम राजनीति न पकने दें. मैं शब्दनगरी पर भी लिखती हूँ, आपको बताना चाहती हूँ की आप वहाँ पर भी अपने लेख प्रस्तुत करें, बहुत से पाठक वहाँ भी आपकी रचना को पढ़कर आनंदित होंगे, इसी आशा से आपसे ये निवेदन कर रही हूँ. यदि मेरी सहायता की आवश्यकता हो तो मुझे प्रतिउत्तर में अवश्य बताएं। शब्दनगरी पर अकाउंट बनाने के लिए लिंक shabd.in लिख के अकाउंट बनाए और अपना लेख ज़रूर प्रकाशित करें।
  • author
    Mazhar Noor
    13 दिसम्बर 2016
    दंगों में क्या होता है यह तो सबको पता है दंगा होने पर ऐक नागरिक को क्या करना चाहिए? कैसे खुद को, परिवार को, दंगाइयों और पुलिस से बचाना चाहिए,इस पर विचार कर के लिखिये. हर दृश्य में विकटिम को क्या करना चाहिए