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डांसर

4.2
15048

सुबह के करीब साढ़े सात बज रहे थे, तिहाड़ जेल के बाहर हजारों की संख्या में लोग जमा थे और कब्बू , सट्टा और जुगनू के नाम के नारे लगा रहे थे ।साथ ही पुलिस से गुहार लगा रहे थे कि उन्हें तीनों से मिलने ...

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लेखक के बारे में

Hindi fiction writer with 700k readers, 3k followers. Author of Hindi story book "प्रेम संस्मृति" and "विचार गाथा".

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Vimal Mehra
    05 अक्टूबर 2018
    रचना का कथानक अच्छा है किन्तु लेखक जैसा कि इंगित है, Fiction Writer हैं, परन्तु कहानी पर पकड़ नहीं बना सके ! जैसा कि वे कहना चाहते हैं कि उन लड़कों पर डांस कोम्पिटीशन की जिम्मेवारी थी, तथा वे हत्या के जुर्म में जेल जा पहुंचे तथा वहां फांसी की सजा भी हो गयी तथा डांस की तैयारी भी चलती रही ! वहीँ से उन्होंने डांस कॉम्पिटिशन जीत भी लिया ! अब यहाँ मानिये कि डांस कोम्पिटीशन और हत्या के समय में कितना अंतर रहा होगा ? अधिक से अधिक ६ महीने ! भारत में अदालतों के पास इतने वाद होते हैं कि ऐसे किसी भी केस को निबटने में वर्षो लग जाते हैं ! तो ये कैसे संभव है कि बालकों को इतने कम समय में फाँसी की सजा भी हो गयी और ये प्रतियोगिता भी ! दूसरी बात ये है कि लेखक की विषय के बारे में जानकारी अपूर्ण है ! सब से पहले तो कानून नाबालिग को फाँसी की सजा नहीं देता है ! और यहाँ इस केस में ये हत्या नहीं थी ! शमशेर का क़त्ल आत्मरक्षा ( self defence) के लिए भी माना जा सकता था ! अथवा अचानक उकसावा (sudden provocation) भी माना जा सकता था ! दोनों ही स्थितियों में ये हत्या तो नहीं ही होती ! कोई साधारण वकील भी इस केस कि धज्जियाँ उड़ाने में सफल रहता ! कुछ कुछ फिल्मी लगने वाली कहानी है जहाँ भी लेखक केवल मनोरंजन को स्थान देते हैं ! फिक्शन पसंद करने पाठकों को कथा प्रभावित कर सकती है ! भावुक दिल को छू भी सकती है किन्तु अच्छा होता कि साहित्य को और समृद्ध कर पाती ! कुल मिला कर ठीक-ठाक है !
  • author
    Rohit
    06 जून 2020
    well i'm also a dancer, and i liked the story but.....आपको थोड़ी और रिसर्च करनी चाहिए थी... जैसे 16 साल के लड़कों को मर्डर के लिए फांसी नहीं दी जा सकती, फिर वो एक गैंगवार था इससे उनको छोटी मोटी भी मिलने के बहुत कम चांसेज थे, एंड लास्टली तीन लोगों ने एक ही मर्डर किया हो तो उन्हें उम्रकैद मिलती है, वो भी शायद तब जब उनका कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड हो.....
  • author
    anand kamble
    12 जनवरी 2019
    कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम हैँ कहना ...आगे सोच समज कर लिखना श्री विमल मेहरा जी ने सही कहा है.
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    Vimal Mehra
    05 अक्टूबर 2018
    रचना का कथानक अच्छा है किन्तु लेखक जैसा कि इंगित है, Fiction Writer हैं, परन्तु कहानी पर पकड़ नहीं बना सके ! जैसा कि वे कहना चाहते हैं कि उन लड़कों पर डांस कोम्पिटीशन की जिम्मेवारी थी, तथा वे हत्या के जुर्म में जेल जा पहुंचे तथा वहां फांसी की सजा भी हो गयी तथा डांस की तैयारी भी चलती रही ! वहीँ से उन्होंने डांस कॉम्पिटिशन जीत भी लिया ! अब यहाँ मानिये कि डांस कोम्पिटीशन और हत्या के समय में कितना अंतर रहा होगा ? अधिक से अधिक ६ महीने ! भारत में अदालतों के पास इतने वाद होते हैं कि ऐसे किसी भी केस को निबटने में वर्षो लग जाते हैं ! तो ये कैसे संभव है कि बालकों को इतने कम समय में फाँसी की सजा भी हो गयी और ये प्रतियोगिता भी ! दूसरी बात ये है कि लेखक की विषय के बारे में जानकारी अपूर्ण है ! सब से पहले तो कानून नाबालिग को फाँसी की सजा नहीं देता है ! और यहाँ इस केस में ये हत्या नहीं थी ! शमशेर का क़त्ल आत्मरक्षा ( self defence) के लिए भी माना जा सकता था ! अथवा अचानक उकसावा (sudden provocation) भी माना जा सकता था ! दोनों ही स्थितियों में ये हत्या तो नहीं ही होती ! कोई साधारण वकील भी इस केस कि धज्जियाँ उड़ाने में सफल रहता ! कुछ कुछ फिल्मी लगने वाली कहानी है जहाँ भी लेखक केवल मनोरंजन को स्थान देते हैं ! फिक्शन पसंद करने पाठकों को कथा प्रभावित कर सकती है ! भावुक दिल को छू भी सकती है किन्तु अच्छा होता कि साहित्य को और समृद्ध कर पाती ! कुल मिला कर ठीक-ठाक है !
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    Rohit
    06 जून 2020
    well i'm also a dancer, and i liked the story but.....आपको थोड़ी और रिसर्च करनी चाहिए थी... जैसे 16 साल के लड़कों को मर्डर के लिए फांसी नहीं दी जा सकती, फिर वो एक गैंगवार था इससे उनको छोटी मोटी भी मिलने के बहुत कम चांसेज थे, एंड लास्टली तीन लोगों ने एक ही मर्डर किया हो तो उन्हें उम्रकैद मिलती है, वो भी शायद तब जब उनका कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड हो.....
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    anand kamble
    12 जनवरी 2019
    कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम हैँ कहना ...आगे सोच समज कर लिखना श्री विमल मेहरा जी ने सही कहा है.