दिल्ली की दामिनी ने दी जब न्याय की पुकार, तब जाकर जागा यह अचेतन संसार, चैतन्य समाज की यह जागरुकता, उजागर कर रही मानव की कुरूपता । जिस भारत का था यह गान, "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र ...
सच ही कहा जाता है "यथा नाम तथा गुण ",
भावनाओं में बह जाने वाली हूँ मैं एक भावना l
क्षण भर में बन जाऊँ कभी मोम तो कभी पत्थर,
प्रत्येक रचना करती है मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति l
खुली किताब सी हूँ, हूँ थोड़ी सी बेबाक ,
बेबाकी से लिखना और बोलना ही है मेरा अंदाज l
सारांश
सच ही कहा जाता है "यथा नाम तथा गुण ",
भावनाओं में बह जाने वाली हूँ मैं एक भावना l
क्षण भर में बन जाऊँ कभी मोम तो कभी पत्थर,
प्रत्येक रचना करती है मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति l
खुली किताब सी हूँ, हूँ थोड़ी सी बेबाक ,
बेबाकी से लिखना और बोलना ही है मेरा अंदाज l
रिपोर्ट की समस्या
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