pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दामिनी की पुकार

4.3
406

दिल्ली की दामिनी ने दी जब न्याय की पुकार, तब जाकर जागा यह अचेतन संसार, चैतन्य समाज की यह जागरुकता, उजागर कर रही मानव की कुरूपता । जिस भारत का था यह गान, "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
भावना सिंह

सच ही कहा जाता है "यथा नाम तथा गुण ", भावनाओं में बह जाने वाली हूँ मैं एक भावना l क्षण भर में बन जाऊँ कभी मोम तो कभी पत्थर, प्रत्येक रचना करती है मेरी भावनाओं की अभिव्यक्ति l खुली किताब सी हूँ, हूँ थोड़ी सी बेबाक , बेबाकी से लिखना और बोलना ही है मेरा अंदाज l

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dhirendra Pratap Singh
    09 मार्च 2018
    I have not enough words to appreciate 👍
  • author
    कुमार अभिनंदन
    07 मई 2019
    सही है..
  • author
    VIJAY KUMAR SINGH
    14 मार्च 2022
    समाज में महिला के साथ हो रही पीड़ा को उजागर करके आपने आईना दिखाया है।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dhirendra Pratap Singh
    09 मार्च 2018
    I have not enough words to appreciate 👍
  • author
    कुमार अभिनंदन
    07 मई 2019
    सही है..
  • author
    VIJAY KUMAR SINGH
    14 मार्च 2022
    समाज में महिला के साथ हो रही पीड़ा को उजागर करके आपने आईना दिखाया है।