pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

दलित राजनीति की समस्याएं

3
208

चूँकि `भारतीय राष्ट्र' के गठन में गाँधीजी के विचारों को केंद्रीयता प्राप्त है, इसलिए `हरिजन बनाम दलित' के संदर्भ को भी गाँधीजी के विचारों की केंद्रीयता में देखा जाना चाहिए। `हरिजन' और `दलित' का ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मँजी हुई शर्म का जनतंत्र के (कविता संकलन) साहित्य समाज और जनतंत्र (लेख संकलन) बाजारवाद और जनतंत्र (लेख संकलन) आजादी और राष्ट्रीयता का मतलब (लेख संकलन) छुटे हुए क्षण (जीवनानुभव) कई पुस्तकों के सहलेखक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय कोलकाता में कार्यरत। संपर्क : [email protected] मोबाइल : 919007725174

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    25 जून 2019
    बहुत उतम विचारों को प्रेषित करता लेख़.....यदी हम जाती की व्यवस्था को पूर्णता समाप्त कर दें, तो यह घृणित राजनीति मे अंतर आयेगा क्या़? हमारे देश मे जाति भेद, या वर्ण व्यवस्था अब गुटबंदी की गंदी राज नीति मे बदल चूकी है.... समस्या हल होने के बजाय विकृत रूप ले रही है।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    25 जून 2019
    बहुत उतम विचारों को प्रेषित करता लेख़.....यदी हम जाती की व्यवस्था को पूर्णता समाप्त कर दें, तो यह घृणित राजनीति मे अंतर आयेगा क्या़? हमारे देश मे जाति भेद, या वर्ण व्यवस्था अब गुटबंदी की गंदी राज नीति मे बदल चूकी है.... समस्या हल होने के बजाय विकृत रूप ले रही है।