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डायन

4.4
14225

मज़मा लगा था | भारी भीड़ थी | बच्चे –जवान -बूढ़े, महिला-पुरूष,लूले-लंगड़े, सूरदास सब मौजूद | पुलिया का पनवाडी नत्थू,चतरू चाय वाला, फ़क़ीरा सब्जी ठेले वाला, मोची गोविन्दा, मेहतर,दुकानदार सब खडे थे | ...

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लेखक के बारे में
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शोभा रस्तोगी
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    power plus 00
    20 मई 2019
    मार्मिक कहानी भाषा थोड़ी जटिल थी पर भाव और शाब्दिक गहराइयाँ बहुत थी
  • author
    Aman Arora
    16 दिसम्बर 2019
    This is the real face of our society
  • author
    बीनू मिश्रा
    15 दिसम्बर 2017
    समाज को आइना दिखाती बेहतरीन कहानी। क्षेत्रीय भाषा का भी अच्छा प्रयोग किया गया है।
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    20 मई 2019
    मार्मिक कहानी भाषा थोड़ी जटिल थी पर भाव और शाब्दिक गहराइयाँ बहुत थी
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    Aman Arora
    16 दिसम्बर 2019
    This is the real face of our society
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    बीनू मिश्रा
    15 दिसम्बर 2017
    समाज को आइना दिखाती बेहतरीन कहानी। क्षेत्रीय भाषा का भी अच्छा प्रयोग किया गया है।