कोर्ट रूम में सन्नाटा सा छा गया।उस सन्नाटे को यदि कोई आवाज़ तोड़ रही थी तो वो थी उसके रुदन और सिसकियों की। बयान देते देते वो फूट फूट कर रो पड़ा।उसके हर शब्द से उसकी बेबसी,उसका आक्रोश उसकी पीड़ा छलक ...
नीता राठौर .... केवल फॉलो न करें बल्कि अपनी प्रतिक्रियाएं भी दें। आप की अमूल्य प्रतिक्रियाएं, आलोचना, समालोचना, सराहना, प्रोत्साहन ही मुझे नव सृजन के लिए प्रेरित करता है।
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रिपोर्ट की समस्या
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