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कूप मण्डूक

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वर्षात के दिन थे। बादल झूम-झूम कर बरस रहे थे। बरस ही नही रहे थे, पानी का समुद्र उड़ेल रहे थे। जाने के मूड में नही थे। डेरा डाले पड़े थे। नदियां उफनने लगी। तालाब-पोखरे उमड़ने लगे। यही नही कुएं का पानी ...

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लेखक के बारे में
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RAM karan

1. साहित्यिक परिचय - कथादेश द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता 2019 में प्रथम पुरस्कार। 2. हिंदी प्रचारिणी सभा कैनाडा द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता 2020 में प्रथम पुरस्कार 3. डॉ. परशुराम शुक्ल बाल साहित्य पुरस्कार 2018 विभिन्न कहानियां, कविताएं एवं लघुकथाएं ‘प्रभात-खबर, सत्य की मशाल, हिन्दी चेतना, रूपायन, चकमक,बालभारती, नंदन, बालवाटिका, बाल किलकारी, बालहँस में प्रकाशित।

समीक्षा
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  • author
    मेराज रज़ा
    26 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर रचना। हार्दिक बधाई स्वीकार करें
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    मेराज रज़ा
    26 नवम्बर 2020
    बहुत सुंदर रचना। हार्दिक बधाई स्वीकार करें