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कान्वेण्ट का बुखार

4.0
60555

कल्पना का शरीर बुखार से तप रहा था। इस बुखार ने उसके पूरे शरीर को जैसे तोड़कर रख दिया था, वह चाह कर भी बिस्तर से उठ नहीं पा रही थी। काम पर जाना तो दूर, एक कप चाय बनाने की भी हिम्मत भी नहीं थी उसकी। ...

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लेखक के बारे में
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Sarrita Surana
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    26 मार्च 2019
    आज के कान्वेंट परिवेश को देखते हुए बहुत ही अच्छी कहानी। और ये बात लोगो के कभी समझ नही आएगा
  • author
    Snehlata Agarwal
    09 मार्च 2019
    सुपर्ब
  • author
    govind bisht
    25 अक्टूबर 2018
    भगवान करें यह सिर्फ कल्पना रहे, ऐसा किसी के साथ ना घटे।
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  • author
    26 मार्च 2019
    आज के कान्वेंट परिवेश को देखते हुए बहुत ही अच्छी कहानी। और ये बात लोगो के कभी समझ नही आएगा
  • author
    Snehlata Agarwal
    09 मार्च 2019
    सुपर्ब
  • author
    govind bisht
    25 अक्टूबर 2018
    भगवान करें यह सिर्फ कल्पना रहे, ऐसा किसी के साथ ना घटे।