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कामरेड का कोट -सृंजय

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आठवें दशक के अंतिम मे कुछ कथा लेखकों ने एकाएक ख्याति प्राप्त की थी। इन लेखकों का अन्दाज ए बयां भिन्न-भिन्न था। “हंस“ और दीगर पत्रिकाओं मे इन कहानीकारों और उनकी कहानियों की जमकर चर्चा हुई। इन लेखक ...

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लेखक के बारे में

राजनारायण बोहरे जन्म-20 सितम्बर ★ शिक्षा-हिन्दी में स्नातकोत्तर, विधि एवम पत्रकारिता में स्नातक ¶ प्रकाशन - कहानी संग्रह: इज़्ज़त-आबरू, गोस्टा तथा अन्य कहानियाँ, हादसा , मेरी प्रिय कथाएँ,हल्ला● उपन्यास : मुखबिर, अस्थान,आड़ा वक्त● एवं अंतरिक्ष में डायनासौर, जादूगर जंकाल और सोनपरी, रानी का प्रेत, सुनसान इमारत (बाल उपन्यास) ● बाल कहानी संग्रह : आर्यावर्त की रोचक कथाएँ● पुरस्कार- मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल का "वागीश्वरी पुरस्कार" ★ साहित्य अकादेमी (मप्र संस्कृति परिषद, मप्र शासन ) का "सुभद्राकुमारी चौहान पुरस्कार" ★ विशेष- बाल उपन्यास अंतरिक्ष में डायनासौर का अंग्रेजी अनुवाद -Dinosaurs in space ◆ सम्प्रति- असिस्टेंट कमिश्नर जीएसटी से स्वेच्छा से सेवा निवृति बाद लेखन® सम्पर्क- एल आय जी 19, ओल्ड हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, दतिया मध्यप्रदेश 475661 ∆ मोबाइल: 98266_89939 E-mail: [email protected] ©©©

समीक्षा
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    Ramgopal Bhavuk
    23 जून 2020
    सृंजय जैसे कथाकार का लिखना बन्द कर देना ठीक नही रहा।राज बोहरे जी ने बहुत उम्दा विश्लेषण किया है।
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    Ramgopal Bhavuk
    23 जून 2020
    सृंजय जैसे कथाकार का लिखना बन्द कर देना ठीक नही रहा।राज बोहरे जी ने बहुत उम्दा विश्लेषण किया है।