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कलर ब्लाइंड

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समय की कूंची, वर्तमान के केनवास पर, खींच रही, न जाने कितने चाहे –अनचाहे चित्र, जो धीरे-धीरे, अतीत के अल्बम में, बन गए हैं इतिहास. इन्हें लोग, देखकर भी, अनदेखा कर जाते हैं. कुछ लोग, इनके रंगों को, ...

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लेखक के बारे में
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मंजू महिमा

नाम : मंजु महिमा भटनागर जन्म : 30 जुलाई, 1948 कोटा (राजस्थान) शिक्षा : एम.ए. - उदयपुर विश्वविद्यालय, उदयपुर (राजस्थान); एम.फिल. (हिन्दी साहित्य) - गुजरात विश्वविद्यालय,अहमदाबाद पत्रकारिता-सर्टिफिकेट कोर्स- पत्रकारिता महाविद्यालय, दिल्ली प्रकाशन : काव्यसंग्रह– हिन्दी- (1) बोनसाई संवेदनाओं के सूरजमुखी (2) शब्दों के देवदार 3) हथेलियों में सूरज (सद्य प्रकाशित ) शोध प्रबंध–प्रकाशित- (1) संतकवि आनंदधन एवं उनकी पदावली संपादन- जेसीस पत्रिका सह-संपादन-हूमड़ जैन समाज का सांस्कृतिक इतिहास (२) राणी शक्ति चुतर्थ शताब्दी विशेषांक (३)गुर्जर राष्ट्रवीणा के बाल-जगत का संपादन अन्य काव्य-संग्रहों में प्रकाशित रचनाएँ : नई धरती-नया आकाश, पछुंआ के हस्ताक्षर, गवाक्ष, एकता का संकल्प, जलते दीप, संवेदना के स्वर,शब्द-पखेरू, स्वर्ण आभा-गुजरात इत्यादि राजस्थानी भाषा- रचनाएँ प्रकाशित. ‘जागती जोत’ में-राजस्थानी साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित. अनुवाद : विभिन पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, नाटक एवं लेख, "आधुनिक गुजराती एकांकी’ में आदिल मंसूरी द्वारा लिखित नाटक ’पेन्सिल की कब्र और मोमबत्ती’, राजेन्द्र शाह की कुछ गुजराती कविताओं का हिन्दी अनुवाद जो साहित्य अकादमी गुजरात द्वारा प्रकाशित पुस्तक में संकलित हैं. उपलब्धियाँ : *सन डे इंडिया द्वारा प्रकाशित भारत की मुख्य १११ लेखिकाओं की सूची में नाम सम्मिलित (४ सित. २०११-सम्पादक अरिंदम चौधरी) * हिन्दी साहित्य अकादमी गुजरात द्वारा श्रेष्ठ शोध-प्रबंध हेतु पुरस्कार * रजत पदक - डॉ. काबरा काव्य स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार-हिन्दी साहित्य परिषद, अहमदाबाद. *प्रथम पुरस्कार- डॉ.आर.सी.वर्मा ‘गौरव-पुरस्कार’: साहित्यलोक अहमदाबाद द्वारा श्रेष्ठ कविता हेतु *स्वर्णपदक-श्रेष्ठ एकाभिनय हेतु अन्तर्विश्वविद्यलय प्रतियोगिता, उदयपुर सांस्कृतिक पुरस्कार - महाराणा भूपाल महाविद्यलय (उदयपुर) * कर्णावती जूनियर चेम्बर, अहमदाबाद द्वारा योग्य कार्यकर्ता पुरस्कार एवं ’कमलपत्र’ पुरस्कार से सम्मानित *विभिन्न सामाजिक और साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर सम्मानित. *कवि-सम्मेलनों और काव्य-गोष्ठियों में प्राय: शिरकत. *आकाशवाणी और दूरदर्शन से समय-समय पर रचनाएँ प्रसारित. *अन्तर्जाल के साहित्यिक समूहों जैसे इ-कविता, काव्यधारा, विचार विमर्श आदि में सक्रिय, साहित्यिक नेट-पत्रिकाओं (अनुभूति,साहित्य-सृजन,हिन्दी नेस्ट,काव्य-पल्लवन, नव्या,इंकलाब,हिन्दी चेतना, हिन्दी-गौरव,सृजनगाथा,साहित्य-कुंज,नव्या, विश्वा आदि) में रचनाएँ प्रकाशित *सिंधी और गुजराती भाषा में कुछ रचनाओं का अनुवाद प्रकाशित . सम्प्रति : ‘भाषा-शिक्षण निष्णात और सलाहकार’: एजुकेशन इनीशिएटिव संस्था के माध्यम से पिछले 12 सालों से हिन्दी-शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए सक्रिय, हिन्दी अध्यापकों को प्रशिक्षण देकर, वर्कशॉप आदि लेकर हिन्दी को रोचक माध्यमों से हिन्दी कैसे पढ़ाएं?, आधुनिक तकनीक का उपयोग हिन्दी सिखाने के लिए कैसे करें? आदि की जानकारी प्रदान करना, एनिमेशन के लिए पाठ्य-सामग्री तैयार करना,छात्रों के मूल्यांकन हेतु कुशलता-लक्षी परीक्षा-पत्र तैय्यार करना आदि गतिविधियों में कार्यरत. *लगभग20वर्षों का हिन्दी अध्यापन का विभिन्न शालाओं का अनुभव. * विभिन्न पाठ्य-पुस्तकों का आकलन तथा विभिन्न कक्षाओं के लिए पाठ्य-क्रम तैयार करने का अनुभव. अभिरुचियाँ : लेखन, अध्ययन संगीत सुनना, हस्तकला, नवीन व्यंजन बनाना, यात्रा एवं फोटोग्राफी सम्पर्क : [email protected] चलित-भाष-09925220177

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    मधु सोसी
    14 अक्टूबर 2015
    सुन्दर रचना . अलग नजरिया . एक और अलग सोच . कविता का शीर्षक आकर्षक तथा भीतर का कलेवर भी | सराहनीय \
  • author
    Ravirashmi Anubhooti
    19 अक्टूबर 2015
    log chahate hain ki shanti sthapit ka prayas ho,kaee log chahate  hai shanti ho,ismen jaan bhi chali jaati hai,sadiyan beet gaeen,par vahi dhak ke teen paat,kash !chahat poori jaae.yahi kamana hamari,hidustan nyara hi rahe.kavita sundar,badhaaee.  
  • author
    Santosh Kumar
    15 अक्टूबर 2015
    सच बयानी करती बहुत ही सारगर्भित कविता है. मंजू महिमा जी को बधाई. सन्तोष कुमार सिंह
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    मधु सोसी
    14 अक्टूबर 2015
    सुन्दर रचना . अलग नजरिया . एक और अलग सोच . कविता का शीर्षक आकर्षक तथा भीतर का कलेवर भी | सराहनीय \
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    Ravirashmi Anubhooti
    19 अक्टूबर 2015
    log chahate hain ki shanti sthapit ka prayas ho,kaee log chahate  hai shanti ho,ismen jaan bhi chali jaati hai,sadiyan beet gaeen,par vahi dhak ke teen paat,kash !chahat poori jaae.yahi kamana hamari,hidustan nyara hi rahe.kavita sundar,badhaaee.  
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    Santosh Kumar
    15 अक्टूबर 2015
    सच बयानी करती बहुत ही सारगर्भित कविता है. मंजू महिमा जी को बधाई. सन्तोष कुमार सिंह