प्यासा - भाग तीन 🌺 🖍️गांव में एक ही हवेली थी और मैं उस हवेली का इकलौता वारिस था। इसीलिए मेरा लालन पालन उसी प्रकार से हुआ। मैं अपने घर परिवार का ही नहीं एक प्रकार से गांव की आंखों का ...
अपनी रचनाओं में रोज़ मैं अपने बारे में लिख रहा हूं। इसके अलावा और क्या लिखूं? मुझे फिलहाल कुछ नहीं सूझ रहा। मेरे ख्याल से मेरी रचनाएं ही मेरा वास्तविक परिचय है।
सारांश
अपनी रचनाओं में रोज़ मैं अपने बारे में लिख रहा हूं। इसके अलावा और क्या लिखूं? मुझे फिलहाल कुछ नहीं सूझ रहा। मेरे ख्याल से मेरी रचनाएं ही मेरा वास्तविक परिचय है।
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