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सिनेमा की एक शताब्दी की यात्रा - 2

4.3
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1913 में दादा साहेब फ़ालके ने ‘राजा हरिशचन्द्र’ बनाई थी, तो ग्राण्ट रोड़ के कैपिटल थियेटर में लट्ठे का परदा लगाकर ‘चलती-फ़िरती तस्वीरों का तमाशा’ देखने चन्द दर्शक जुटे। अब वहां ‘कैपिटल’ का नामो-निशान ...

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    हमराझ
    15 ఆగస్టు 2017
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