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((((चुनरी))))

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((((चुनरी)))) क्या समां था वो ज़िन्दगी जब खूब हसाती थी,सामने तेज़ धूप थी माँ चुनरी की ओट देकर बचाती थी. मैं रूठ के रोता था जब,वही चुनरी मेरी भरी आँखों से गिरते आँसुओं को साफ ...

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लेखक के बारे में
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Singh
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    13 अप्रैल 2020
    चुनरी लाजवाब एक औरत बेटी की लाज है चुनरी ।सर ढका हो तो मान है चुनरी ।माँ का आँचल का छोर है चुनरी ।लाजवाब सृजन।
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    Poonam Kaparwan pikku
    13 अप्रैल 2020
    चुनरी लाजवाब एक औरत बेटी की लाज है चुनरी ।सर ढका हो तो मान है चुनरी ।माँ का आँचल का छोर है चुनरी ।लाजवाब सृजन।