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चिट्ठी में धूप

4.2
742

'ख्वाहिश के हजारों रंगों में एक साया मैंने साथ रखा एक धूप तुम्हारे साथ गई ' चिट्ठी में धूप भेजूं तो मिल जाएगी तुम्हें......? बोलो न.......? उन मुंडेरों की धूप जहाँ हम तुम साथ-साथ खड़े थे छज्जे से ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
  • author
    Deepshikha Joshi
    21 अक्टूबर 2020
    मुझे मेरी 13 साल पूरानी कविता याद आयी तुम्हारी कविता पढकर। शुक्रिया।
  • author
    विनर्स दवाने
    19 अक्टूबर 2015
    ek sundar drash prastut karne ka prayatn hai..... nihsndeh srahniy h. thanks
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    Naveen Pawar
    22 जनवरी 2022
    आदरणीया महोदया जी आपकी कवितावली बहुत खुबसुरत होती है उपयुक्तता लफ्ज दिल की गहराई मे अमिट छाप छोड जाते है
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    Deepshikha Joshi
    21 अक्टूबर 2020
    मुझे मेरी 13 साल पूरानी कविता याद आयी तुम्हारी कविता पढकर। शुक्रिया।
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    विनर्स दवाने
    19 अक्टूबर 2015
    ek sundar drash prastut karne ka prayatn hai..... nihsndeh srahniy h. thanks