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चिंता और चिता

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चिंता चिता हैं दोनों बराबर दोनों में एक बिंदु का अंतर चिता जलाती है एक बार और चिंता जलाए बारंबार जब चिंतामय लगे संसार खो जाए चैन-ओ-करार चिंतन से खुलेंगे सब द्वार वरना चिता तो है तैयार ...

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लेखक के बारे में
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महेश कुमार

जो सोचता हूँ, वो बात लिखता हूँ, ख़्वाहिशों के अल्फ़ाज़ लिखता हूँ..

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Aditi Tandon
    16 मार्च 2022
    सही कहा आपने चिंता चिता समान है चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए और अपना प्रयास करते रहना चाहिए बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👌👌
  • author
    16 मार्च 2022
    बहुत ही सुन्दर.. उन्मुक्त होकर जो रह रहा,उस सुखी कोई नहीं.. आपका हरपल बेहतरीन हो
  • author
    Asha garg
    16 मार्च 2022
    behad khubsurat shandar prastuti
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    Aditi Tandon
    16 मार्च 2022
    सही कहा आपने चिंता चिता समान है चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए और अपना प्रयास करते रहना चाहिए बहुत अच्छा लिखा है आपने 👌👌👌
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    16 मार्च 2022
    बहुत ही सुन्दर.. उन्मुक्त होकर जो रह रहा,उस सुखी कोई नहीं.. आपका हरपल बेहतरीन हो
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    Asha garg
    16 मार्च 2022
    behad khubsurat shandar prastuti