pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

छूकर मेरे मन को

5
14

"छूकर मेरे मन को, गढ़ी थी तूने चाहत ऐसी; ख़ामोशी भी बयां होती, मेरे समक्ष अल्फ़ाज़ जैसी। पर था वक़्त को शायद, हमारा मिलना मंजूर नहीं; तभी तो ले गया बहाकर, हमें एक-दूसरे से दूर कहीं। खो गए हम कहाँ, ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Anjali Singhal

"जज़्बात, एहसास, अरमान और कल्पनाओं को, अल्फ़ाज़ों में पिरोकर लिखती हूँ। प्रतिलिपि के सभी साथियों से, प्रोत्साहन और सराहना चाहती हूँ।।" 🙏🙏 "लिखने से मुझे ख़ुशी मिलती ख़ुशियाँ लिखूँ अपार, पहुँच भी पाती है क्या सबके हृदय तक मेरे शब्दों की झंकार। दिल से लिखती हूँ मैं भी कोशिश रहती है बरकरार, लेखन मेरी साधना है इसे बस सबकी रूह तक दूँ उतार।।"

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Preeti Bhandari
    14 अक्टूबर 2022
    wa lajwab bahut khoob likha hai aapne hmari rchna bhi pade or protsahn bhi jaro de 🙏😌
  • author
    Balram Soni
    14 अक्टूबर 2022
    बहुत ही बढ़िया बेहतरीन भावपूर्ण रचना लिखी है आपने👌💐💐 🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏
  • author
    14 अक्टूबर 2022
    बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा आपने 👌👌👌👏👏👏🥀🥀🥀🌺🥀🥀🥀🥀
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Preeti Bhandari
    14 अक्टूबर 2022
    wa lajwab bahut khoob likha hai aapne hmari rchna bhi pade or protsahn bhi jaro de 🙏😌
  • author
    Balram Soni
    14 अक्टूबर 2022
    बहुत ही बढ़िया बेहतरीन भावपूर्ण रचना लिखी है आपने👌💐💐 🙏🌹 जय श्री राधे कृष्णा 🌹🙏
  • author
    14 अक्टूबर 2022
    बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना लिखा आपने 👌👌👌👏👏👏🥀🥀🥀🌺🥀🥀🥀🥀