pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

छोटी मछली - बड़ी मछली

4.2
1382

पैसेंजर ट्रेन खचाखच भरी हुई थी। कुछ लोग बड़े आराम से अपनी सीटों पर शहंशाह की तरह विराजमान थे। हाँ! शहंशाह की तरह, क्योंकि वह ही कुछ भाग्यशाली थे जिन्हें बैठने का कुछ स्थान प्राप्त हो गया था। बहुत से ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Anupama Arora
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jitendra Khinchi
    18 अप्रैल 2020
    यदि कहानी की घटना आपके सामने की है तो आपको थानेदार के कृत्य पर हस्तक्षेप करना चाहिए था और यदि घटना के आपके सामने की नहीं है तो ऐसे लोगों पर कटाक्ष करते हुए लोगों को एक संदेश देना चाहिए था
  • author
    Manjit Singh
    27 जून 2020
    ye saty hai ki police vale garibon ki pitaai karte he. bahut dukh ki baat hai inki sunvaai bhi nahi hoti. are logo garibon pe daya karo
  • author
    Pramod Ranjan Kukreti
    09 फ़रवरी 2019
    बहुत खूब। ज्यादातर मामलों में हमारी त्वरित प्रतिक्रिया बहुत बड़ा अन्याय कर जाती है । शायद यही संदेश है आपका ।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jitendra Khinchi
    18 अप्रैल 2020
    यदि कहानी की घटना आपके सामने की है तो आपको थानेदार के कृत्य पर हस्तक्षेप करना चाहिए था और यदि घटना के आपके सामने की नहीं है तो ऐसे लोगों पर कटाक्ष करते हुए लोगों को एक संदेश देना चाहिए था
  • author
    Manjit Singh
    27 जून 2020
    ye saty hai ki police vale garibon ki pitaai karte he. bahut dukh ki baat hai inki sunvaai bhi nahi hoti. are logo garibon pe daya karo
  • author
    Pramod Ranjan Kukreti
    09 फ़रवरी 2019
    बहुत खूब। ज्यादातर मामलों में हमारी त्वरित प्रतिक्रिया बहुत बड़ा अन्याय कर जाती है । शायद यही संदेश है आपका ।