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छाया

3.4
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समुद्र किनारे भीगी रेत पर बैठी है एक छाया अनेक छायाएं आ रही हैं, जा रही हैं मैं छाया को देखता हूँ छाया को पढ़ना चाहता हूँ अपने ही अंदर डूबी छाया को पढ़ना दुश्वार होता है वह भाषा सबको आती भी नहीं छाया ...

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लेखक के बारे में

जन्म: 8-8-1941, उज्जैन में सर जे.जे. कालेज मुम्बई से वास्तुकला में स्नातक छात्रकाल से ही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित एवं आकाशवाणी इन्दौर-भोपाल से प्रसारित होती रही हैं. कृतियाँ: सदी के अंतिम दिनों में(काव्य संग्रह-1999) एक पत्ता थरथराता रहा(काव्य संग्रह-1999) गूंगी घंटियाँ(काव्य संग्रह-2002) चक्रवात सा घूमता है शून्य(काव्य संग्रह-2005) अंधी यात्रायें(काव्य संग्रह-2006) पत्थर में बंद आदमी(काव्य संग्रह-2010) धुंध और अंधकार(गद्य यात्रावृत- 2010) सूर्य गिरा है अभी अभी नीचे(काव्य संग्रह-2012) आवाज़ें अब नहीं आती(काव्य संग्रह-2012) उस रात चाँद खंडहर में मिला(काव्य संग्रह-प्रकाशनाधीन) अन्य रचनाकारों के साथ संगृहों में भागीदारी तिनका तिनका नीड- काव्य संगृह(2000) स्वर संगीत- काव्य संगृह(2000) द डुयेट- अंग्रेजी में अनुवादित कविताओं का संगृह(2004) दो आशियाना- हिन्दी उर्दू द्विभाषिक काव्य संगृह(2006) कविताओं का अंग्रेजी, उर्दू, जापानी, बांग्ला, मराठी में अनुवाद सम्मान/पुरस्कार: 'अंधी यात्रायें' पर 'राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त' पुरस्कार, 2008 'चक्रवात सा घूमता है शून्य' पर हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा 'साहित्यिक कृति सम्मान', 2005-06 'अंधी यात्रायें' पर 'अखिल भारतीय अम्बिकाप्रसाद दिव्य रजत अलंकरण' वर्ष 2007 के लिये 'अंधी यात्रायें' पर स्पेनिन साहित्य गौरव सम्मान, 2008-2009 'पत्थर में बंद आदमी' पर भारत-एशियाई साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा 'साहित्य सृजन सम्मान', 2010 'आवाज़ें अब नहीं आती' पर म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का 'सैय्यद अमीर अली मीर' पुरस्कार, 2012 संपर्क: राजेन्द्र नागदेव, डी के 2- 166/18, दानिशकुंज कोलार रोड, भोपाल- 462042 मोबाइल: 8989569036 दूरभाष: 0755-2411838

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    05 जून 2020
    Kavita sarthak hai. Jaise mahatma Buddh ne kaha hai Janam dukh hai. jivan dukh hai. Aapka dhanyavaad
  • author
    Satendra Nath Choubey
    05 जून 2021
    बहुत सुन्दर रचना। साधुवाद।
  • author
    Rajendra Gaur
    11 मार्च 2021
    सुंदर कविता
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  • author
    Manjit Singh
    05 जून 2020
    Kavita sarthak hai. Jaise mahatma Buddh ne kaha hai Janam dukh hai. jivan dukh hai. Aapka dhanyavaad
  • author
    Satendra Nath Choubey
    05 जून 2021
    बहुत सुन्दर रचना। साधुवाद।
  • author
    Rajendra Gaur
    11 मार्च 2021
    सुंदर कविता