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छत्रछाया

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4.2

*लोककथा - छत्रछाया* एक गाँव में एक बुढ़िया रहती थी | घर में उसे कोई भी प्यार नहीं करता था | बेटा-बहू उसे अपने सिर का बोझ समझते थे | एक दिन वह दुखियारी घर से निकल कर एक बगीचे की ओर चल दी, जहाँ बहुत ...