चलते जो छल कपट की चाल , कुंठा युक्त हृदय को चुभे भाल...। मित्र , रिश्ते और कई सम्बन्ध, कपट के संग मिले रोज इनके रंग ...। धोखा के अस्त्र से करते नित प्रहार, छल के दांव से चुपके से संहार ...! स्नेह की ...
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