चोर नज़र आता है तुम्हारी आँखों में सोचती ही क्यों कर वो मुझसे ही लुका छिपी खेलता है कई बार धर दबोचने कि कोशिश की है पर हर बार वो सफल हो जाता है बच निकलने में मेरी कोशिशें बेकार हीं साबित होती हैं या मैं इन्हें जान कर ज़ाया होने देती हूँ उम्मीद का दामन पकड़े एक नए चोर की तलाश में जो छिपा बैठा है तुम्हारे ह्रदय के किसी कोने में क्या में उस तक पहुँच पाऊँगी ? एक पहाड़ है झूठ का जिस पर सच की चादर चढ़ा रक्खी है तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है कितने ही बार मैंने उस चादर के नीचे झांक कर देखा है और हर बार आस की एक ...
रिपोर्ट की समस्या
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