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छल

4.5
320

चोर नज़र आता है तुम्हारी आँखों में सोचती ही क्यों कर वो मुझसे ही लुका छिपी खेलता है कई बार धर दबोचने कि कोशिश की है पर हर बार वो सफल हो जाता है बच निकलने में मेरी कोशिशें बेकार हीं साबित होती हैं या मैं इन्हें जान कर ज़ाया होने देती हूँ उम्मीद का दामन पकड़े एक नए चोर की तलाश में जो छिपा बैठा है तुम्हारे ह्रदय के किसी कोने में क्या में उस तक पहुँच पाऊँगी ? एक पहाड़ है झूठ का जिस पर सच की चादर चढ़ा रक्खी है तुम्हें अंदाज़ा भी नहीं है कितने ही बार मैंने उस चादर के नीचे झांक कर देखा है और हर बार आस की एक ...

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लेखक के बारे में
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मीनू विश्वास
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jagriti Godara
    27 జూన్ 2021
    👌👌👍
  • author
    M
    13 జనవరి 2021
    nice
  • author
    रमेश पाली
    22 ఆగస్టు 2018
    बहुत खूब
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    Jagriti Godara
    27 జూన్ 2021
    👌👌👍
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    M
    13 జనవరి 2021
    nice
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    रमेश पाली
    22 ఆగస్టు 2018
    बहुत खूब