pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

चौबीस किलो का भूत

4.8
1663

परम पिता परमात्मा को साक्षात् देखने का दावा आज तक किसने किया है ? फिर भी एक-एक मनुष्य के दिल में क्या गजब का घर किए हुए है वह ? शरीर राख हो जाने बाद- कुछ बचता भी है क्या ? मगर नहीं स्वर्ग-नरक का आतंक ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
भरत प्रसाद

नाम: प्रो. भरत प्रसाद   जन्म: 25 जनवरी -1970 ई., ग्राम- हरपुर, जिला- संत कबीर नगर(उत्तर प्रदेश)   एम.ए, एम.फिल, पी.एच.डी ( हिंदी साहित्य )   रुचियाँ: साहित्य, सामाजिक कार्य और पेंटिंग   पुस्तकें: १.और फिर एक दिन(कहानी संग्रह, 2004) २.देसी पहाड़ परदेसी लोग(लेख संग्रह, 2007) ३.एक पेड़ की आत्मकथा(काव्य संग्रह, 2009) ४.नई कलम: इतिहास रचने की चुनौती(आलोचना, 2012) ५. सृजन की इक्कीसवीं सदी(लेख संग्रह, 2013) ६.कविता की समकालीन संस्कृति (आलोचना - 2016) ७. बीहड़ चेतना का पथिक : मुक्तिबोध (आलोचना -2016 ) 8. कहना जरूरी है ( वैचारिक कृति -2016 ) 9.बूँद बूँद रोती नदी (काव्य संग्रह - 2019 ) 10. पुकारता हूँ कबीर ( काव्य संग्रह - 2019 ) 11. चौबीस किलो का भूत (कहानी संग्रह - 2016 ) 12. प्रतिबद्धता की नयी जमीन (लेख संग्रह -2017 ) 13. बीच बाज़ार में साहित्य (लेख संग्रह - 2016 ) संपादन: 'जनपथ' पत्रिका के युवा कविता विशेषांक - 'सदी के शब्द प्रमाण' का संपादन, 2013   पुरस्कार: सृजन सम्मान, 2005(रायपुर, छ.ग.) अम्बिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण, 2008(भोपाल, म.प्र.) युवा शिखर सम्मान, 2011(शिमला, हि.प्र.)   स्तंभ लेखन: 'परिकथा' पत्रिका के लिये 'ताना-बाना' शीर्षक से स्तंभ-लेखन(2008-2012)   विभिन्न लेखों एवं कविताओं का बांग्ला, पंजाबी एवं अंग्रेजी में अनुवाद   वर्तमान पता: प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, पूर्वोत्तर पर्वतीय विश्व-विद्यालय, शिलांग(मेघालय)-793022   दूरभाष: 0364-2726520(आवास) मोबाईल.नंबर - 09774125265 09383049141   ई-मेल: [email protected]

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    मुकेश राम नागर
    08 अप्रैल 2018
    खूब लिखते हैं भरतजी। शब्द कम पड़ रहे हैं। ढोलक की थाप तक स्पष्ट अनुभव देती है। बहुत खूब...👌👌
  • author
    डा अनीता पंडा
    01 अक्टूबर 2021
    मर्मस्पर्शी रचना।
  • author
    Anju Chouhan
    09 मार्च 2018
    samvedansheel
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    मुकेश राम नागर
    08 अप्रैल 2018
    खूब लिखते हैं भरतजी। शब्द कम पड़ रहे हैं। ढोलक की थाप तक स्पष्ट अनुभव देती है। बहुत खूब...👌👌
  • author
    डा अनीता पंडा
    01 अक्टूबर 2021
    मर्मस्पर्शी रचना।
  • author
    Anju Chouhan
    09 मार्च 2018
    samvedansheel